हिंदू धर्म में कार्तिक मास में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मां गंगा की गोद में जाकर पवित्र नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है।

जिस प्रकार संस्कृत भाषा को देववाणी कहा जाता है, उसी प्रकार गंगाजी को देव नदी कहा जाता है। गंगा भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की परम पवित्र नदी है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है।

जय-जय गंगे, हर-हर गंगे  

कार्तिक मास की पूर्णिमा का शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है। शैव भक्तों में इस पूर्णिमा का महत्व इसलिए है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली असुर का वध किया था।
इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक नाम है। लेकिन कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व वैष्णव भक्तों के लिए है क्योंकि प्रलयकाल में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने पहला अवतर लिया था जिसे मत्स्य अवतार के नाम से जाना जाता है।
इस अवतार में भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा की और प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों, अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा की। इससे पुनः सृष्टि का निर्माण करना आसान हुआ। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिम के दिन दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है।

माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। इस दिन गंगा के पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान का भी बहुत महत्व है। यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन गढ़मुक्‍तेश्‍वर में स्नान करना उत्तम फलदायी माना गया है। मान्यता है कि महाभारत युद्घ समाप्त होने के बाद अपने परिजनों के शव को देखकर युधिष्ठिर बहुत शोकाकुल हो उठे। पाण्डवों को शोक से निकालने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गढ़ मुक्तेश्वर में आकर इसी दिन मृत आत्माओं की शांति के लिए यज्ञ और दीपादन किया।

 

error: Content is protected !!