बेंगलुरु। कर्नाटक में पिछले कई दिनों से चल रहे सियासी नाटक का अंततः मंगलवार को अंत हो ही गया। कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी अपनी सरकार का बहुमत साबित नहीं कर सके। सदन में वोटिंग के दौरान 204 विधायक मौजूद रहे। कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में 99 जबकि भाजपा के पक्ष में 105 वोट पड़े। इस प्रकार छह मतों से गठबंधन सरकार गिर गई।

इससे पहले मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सदन में विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने वोटिंग कराने का ऐलान कर दिया।  विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस का जवाब देते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। इस दौरान उन्होंने कहा ‘”मैं खुशी-खुशी इस पद को छोड़ने के लिए तैयार हूं। मेरा इरादा ट्रस्ट वोट को आगे खींचने का नहीं है। मैं सदन के अध्यक्ष और लोगों से माफी मांगता हूं।” 

मंगलवार के सवेरे बेंगलुरु में धारा 144 लागू कर दी गई। कनार्टक विधानसभा में सोमवार को रात भर चले सियासी ड्रामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने बागी विधायकों को मिलने के लिए भी बुलाया, साथ ही शक्ति परीक्षण के लिए डेड लाइन भी दी। विधानसभा अध्यक्ष ने कुमारस्‍वामी सरकार को मंगलवार शाम छह बजे तक बहुमत साबित करने का वक्‍त दिया। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने सोमवार को आधी रात के बाद मतदान कराए बगैर ही सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी थी। 

उधर मंगलवार सुबह को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई फिर टल गई। बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष शक्ति परीक्षण के तहत होने वाली वोटिंग को जानबूझ कर लटकाने की कोशिश कर रहे हैं। रोहतगी ने शीर्ष अदालत से गुजारिश की कि वह विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दे कि वह आज ही शाम को छह बजे तक कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार की विश्वासमत के लिए वोटिंग की प्रक्रिया को पूरा कराएं। अदालत में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से यह कहा गया कि आज शाम तक विश्‍वास मत पर वोटिंग होने की संभावना है। इस पर अदालत ने दो निर्दलीय विधायकों की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार तक के लिए स्‍थगित कर दी। 

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