नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से बढ़ाई गई लॉकडाउन की अवधि (लॉकडाउन-2) में कुछ जरूरी सेवाओं/गतिविधियों में 20 अप्रैल से कुछ शर्तों/पाबंदियों के साथ छूट मिल जाएगी। केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में बताया गया है कि इस दौरान क्या किया जा सकता है और क्या-क्या नहीं कर सकते। गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि 20 अप्रैल और उसके बाद भी पाबंदियां लागू रहेंगी पर कुछ सेवाओं में छूट मिलने वाली है। सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक आयोजन जिलाधिकारी की अनुमति से हो सकेंगे।
यह भी ध्यान रहे कि नियमों-शर्तों की अनदेखी होने पर आपको, आपके क्षेत्र और आपके शहर को मिलने वाली सभी छूट खत्म की जा सकती हैं।
-किराना और राशन की दुकानें।
-फल-सब्जी के ठेले, साफ-सफाई का सामान बेचने वाली दुकानें।
-डेयरी और मिल्क बूथ तथा पोल्ट्री, मीट, मछली और चारा बेचने वाली दुकानें।
-इलेक्ट्रीशियन, आईटी रिपेयर्स, प्लंबर, मोटर मैकेनिक, कारपेंटर, कुरियर सर्विस, डीटीएच और केबल सेवा।
-ई-कॉमर्स कंपनियां काम शुरू कर सकेंगी। डिलीवरी के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों के लिए जरूरी मंजूरी लेनी होगी।
नोटः जिला प्रशासन की यह जिम्मेदारी होगी कि वह सभी जरूरी सेवाओं की होम डिलिवरी का इंतजाम करे। ऐसा होने पर ज्यादा लोग बाहर नहीं निकलेंगे। दुकानों पर सोशल/फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी होगा।
-दूध का कलेक्शन, प्रोसेसिंग, डिस्ट्रिब्यूशन और ट्रांसपोर्टेशन हो सकेगा।
-पोल्ट्री फॉर्म समेत अन्य पशुपालन गतिविधियां चालू रहेंगी।
-पशुओं का खाना मसलन मक्का और सोया की मैन्युफेक्चरिंग और डिस्ट्रिब्यूशन हो सकेगा। पशु शेल्टर और गौशालाएं खुलेंगी।
-नगरीय निकाय की सीमा से बाहर गांवों में उद्योग शुरू किए जा सकेंगे।
-गांवों में ईंट भट्ठों और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में काम शुरू किया जाएगा।
-ग्राम पंचायत स्तर पर सरकार की मंजूरी वाले कॉमन सर्विस सेंटर खुल सकेंगे।-कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस सर्विस शुरू होगी।
-फिशिंग ऑपरेशन (समुद्र और देश के अंदर) जारी रहेंगे। मछलियों के भोजन, मेंटेनेंस, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग और बिक्री हो सकेगी।
-हैचरी और कमर्शियल एक्वेरियम भी खुल सकेंगे। मछली और मत्स्य उत्पाद, फिश सीड, मछलियों का खाना और इस काम में लगे लोग आवाजाही कर सकेंगे।
-चाय, कॉफी, रबर और काजू की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग और बिक्री के लिए फिलहाल 50 प्रतिशथ मजदूर ही रहेंगे।
-जरूरी सामान की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में काम होगा। इनमें ड्रग, फार्मा और मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं।
-सोशल/फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और मास्क लगाकर मनरेगा कामगार काम कर सकेंगे।
-ऐसी प्रोडक्शन यूनिट जिसमें प्रोसेस को रोका नहीं जा सकता, वे शुरू हो सकेंगी। उनकी सप्लाई चेन भी शुरू हो सकेगी।
-आईटी हार्डवेयर बनाने वाली कंपनियों में कामकाज हो सकेगा। कोल, माइन और मिनरल प्रोडक्शन, उनके ट्रांसपोर्ट और माइनिंग के लिए जरूरी विस्फोटक की आपूर्ति जारी रहेगी।
-ऑयल और जूट इंडस्ट्री, पैकेजिंग मटेरियल की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को भी छूट मिलेगी।
नोटः मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और स्पेशल इकोनॉमिक जोन, इंडस्ट्रियल टाउनशिप में स्थित कंपनियों/फैक्ट्रियों को अपने यहां काम करने वाले स्टाफ के रुकने की व्यवस्था परिसर में करनी होगी। अगर स्टाफ बाहर से आ रहा है तो सोशल/फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए उनके आने-जाने के इंतजाम करने होंगे।
-शहरी क्षेत्र के बाहर सड़क, सिंचाई, बिल्डिंग, अक्षय ऊर्जा और सभी तरह के इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट में निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा। अगर शहरी क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट शुरू करना है तो इसके लिए मजदूर साइट पर ही उपलब्ध होने चाहिए। कोई मजदूर बाहर से नहीं लाया जाएगा।
-आईटी और इससे जुड़ी सेवाओं वाले कार्यालय। इनमें 50 प्रतिशत से ज्यादा स्टाफ नहीं होगा।
-केवल सरकारी गतिविधियों के लिए काम करने वाले डेटा और कॉल सेंटर।
-कार्यालय और आवासीय परिसरों की प्राइवेट सिक्योरिटी और मैंटेनेंस सर्विसेस।-ट्रक रिपेयर के लिए हाईवे पर दुकानें और ढाबे खुलेंगे। राज्य सरकारें की जिम्मेदारी होगी कि यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो।
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