मुंबई। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुए संघर्ष में भारत के 20 जवानों के शहीद होने के बाद चीन को लेकर देशभर में गुस्सा है। लोग चीनी सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं। सरकार भी जहां तक संभव है, चीनी कंपनियों से अपने करार को खत्म कर रही है। इसी कड़ी में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने तीन चीनी कंपनियों के साथ किए गए लगभग 5,000 करोड़ रुपये के परियोजना समझौतों पर रोक लगा दी है।

ये सभी करार 15 जून को हुए थे, उसके बाद एलएसी पर पर जवानों की शहादत हुई थी। अब महाराष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनी से हुए करार को होल्ड पर रख दिया है। राज्य सरकार केंद्र सरकार के अगले आदेश का इंतजार कर रही है। राज्य सरकार ने हाल ही में हुए मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0  निवेशक सम्मेलन में चीनी कंपनियों के साथ तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।

उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार से परामर्श के बाद यह फैसला किया गया है। विदेश मंत्रालय ने चीनी कंपनियों के साथ आगे किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने की सलाह दी है।

इन तीनों समझौतों में पुणे के पास तलेगांव में एक ऑटोमोबाइल संयंत्र स्थापित करने के लिए ग्रेट वॉल मोटर्स (जीडब्ल्यूएम) के साथ 3,770 करोड़ रुपये का किया गया एक एमओयू शामिल था। सरकार द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि फोटॉन (चीन) के साथ एक संयुक्त उद्यम में पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी ने 1,000 करोड़ रुपये की एक इकाई स्थापित करने की घोषणा की थी। इस कंपनी ने कहा था कि वह यहां 1,500 नौकरियों का सृजन करेगी। अन्य चीनी कंपनियों में, एक हेंगली इंजीनियरिंग कंपनी थी जो तलेगांव प्रोजेक्ट में 250 करोड़ रुपये के निवेश के साथ अपने दूसरे चरण का विस्तार करने वाली थी। कंपनी की तरफ से कहा गया था कि इस प्रोजेक्ट से 150 नौकरियां पैदा होंगी। 

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