नई दिल्‍ली। पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के गिरते जनाधार को बचाने के लिए भाजपा को चुनौती देती रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुक्रवार को इस हद तक आवेश में आ गयीं कि सीधे-सीधे मौत को ही चुनौती दे दी। उन्होंने उत्‍तर 24 परगना में कहा, “मैं मौत से नहीं, बल्कि मौत मुझसे डरती है, मुझे रोकने की हिम्मत किसी में नहीं है।”

ममता बनर्जी इतने पर ही नहीं रुकीं, बल्कि भाषा के मुद्दे पर भी आग उगली। कहा, “मैं बिहार, यूपी, पंजाब जाती हूं तो हिंदी में बात करती हूं क्‍योंकि राष्ट्रीय भाषा हिंदी है। लेकिन, जब आप बंगाल आएं तो यहां आपको बांग्‍ला बोलनी पड़ेगी।“

लोकसभा चुनाव के बाद राज्य के हालात पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद भी राज्य में हिंसा हुई है। हम बंगाल को गुजरात नहीं बनने देंगे। बंगाल में हिंसा फैलाने की कोशिश की जा रही है, अल्पसंखयको के ऊपर हमला हो रहा है। बंगाल में गुंडागर्दी का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ अशुभ शक्तियों की नजर बंगाल पर है। आम आदमी मार खा रहा है। बंगाल का विकास करना होगा। हमें ईवीएम नहीं चाहिए, बैलट चाहिए। इसके लिए 21 जुलाई को आंदोलन होगा।

ममता ने कहा, “बंगाल में रहकर बंगालियों को डराएं, मैं यह बर्दाश्त नहीं करूंगी। मुझसे क्यों इतना डरते हैं? हमारी लड़ाई गणतंत्र की लड़ाई है। पुलिस अगर काम नहीं करेगी तो जनता कहां जाएगी? फायदा उठाने के लिए सब पार्टी बदल रहे हैं.। कैसे माकपा का वोट बीजेपी को मिल गया? माकपा ने अपना साइन बोर्ड खुद ही तैयार किया है।”

तृणमूल प्रमुख ने कहा “मुझे गालीगलौच करके कुछ नहीं मिलेगा। मुझे जितनी गालियां दोगे उतनी ही अधिक सीट हम जीतेंगे। ममता बनर्जी करोड़पति की बेटी नहीं है, इसीलिए मुझे गाली देना आसान है। मैं सात दिन का वक्‍त देती हूं जिसे जहां जाना है चला जाए, पार्टी पवित्र हो जाएगी।”

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