मेरठ। जो आईएमईआई (International Mobile Equipment Identity) नंबर एक तरह से मोबाइल फोन की पहचान होता है, चीन की मोबाइल हैंडसेट निर्माता कंपनी वीवो (VIVO) ने उसमें भी फर्जीवाडा कर दिया। दरअसल, प्रत्येक मोबाइल मोबाइल फोन को एक आईएमईआई नंबर दिया जाता है लेकिन VIVO ने देशभऱ में करीब साढ़े 13 हजार मोबाइल हैंडसेट को एक ही आईएमईआई नंबर दे दिया। मेरठ जोन पुलिस की साइबर क्राइम सेल की जांच में इस “खेल” का खुलासा हुआ है। वीवो कंपनी और उसके सर्विस सेंटर के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर मेरठ की मेडिकल कॉलेज थाना पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।
आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से यह मामला काफी गंभीर है। इन साढ़े 13 हजार मोबाइल हैंडसेट यूजर्स में से एक भी अपने मोबाइल फोन के माध्यम से समाज या देश विरोधी पोस्ट करता है या देश की एकता-अखंडता को खतरे में डालने वाला कोई काम करता है तो उसके मोबाइल हैंडसेट को ट्रेस करना काफी मुश्किल है।
अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ के कार्यालय में तैनात सब इंस्पेक्टर आशाराम के पास वीवो कंपनी का मोबाइल फोन है। स्क्रीन टूटने पर उन्होंने 24 सितंबर 2019 को मेरठ में ही दिल्ली रोड स्थित वीवो के सर्विस सेंटर पर इसे सही करने को दिया। बैट्री, स्क्रीन और एफएम बदलकर सर्विस सेंटर ने उन्हें मोबाइल फोन वापस कर दिया लेकिन कुछ दिन बाद ही डिस्प्ले पर एरर आना शुरू हो गया।
मामला तत्कालीन एडीजी प्रशांत कुमार तक पहुंचा तो उन्होंने मेरठ जोन पुलिस की साइबर क्राइम सेल के प्रभारी प्रबल कुमार पंकज और साइबर एक्सपटर्स विजय कुमार को जांच के निर्देश दिए। जांच में पाया गया कि आशाराम के मोबाइल फोन के बॉक्स पर जो आईएमईआई नंबर लिखा हुआ है, वह वर्तमान में मोबाइल फोन में मौजूद आईएमईआई नंबर से अलग है। जांच शुरू हुई। 16 जनवरी 2020 को सर्विस सेंटर के मैनेजर ने जवाब दिया कि आईएमईआई नंबर नहीं बदला गया है। चूंकि उस मोबाइल फोन में जियो कंपनी का सिम था, इसलिए साइबर सेल ने उक्त आईएमईआई नंबर टेलीकॉम कंपनी को भेजकर डाटा मांगा। वहां से रिपोर्ट आई कि 24 सितंबर 2019 को सुबह 11 से 11.30 बजे तक देश के अलग-अलग राज्यों के 13,557 मोबाइल फोन में यही आईएमईआई नंबर रन कर रहा है।
जिओ द्वारा दी गई इस सनसनीखेज जानकारी के बाद साइबर सेल ने वीवो इंडिया कंपनी के नोडल अधिकारी हरमनजीत सिंह को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस दिया। नोटिस के जवाब से पुलिस संतुष्ट नहीं हुई। हरमनजीत यह भी नहीं बता पाए कि ट्राई के किस नियम के अनुसार एक आईएमईआई नंबर एक से ज्यादा मोबाइल फोन नंबर पर सक्रिय है। साइबर सेल ने माना है कि इस मामले में वीवो कंपनी की घोर लापरवाही और ट्राई के नियमों का उल्लंघन है।
एडीजी मेरठ जोन राजीव सबरवाल के मुताबिक,, कुछ वर्षों पहले जब चाइनीज फोन आए थे तब उनका आईएमईआई नंबर एक ही होता था। सुरक्षा के लिहाज से ये खतरा थे। इसलिए भारत सरकार ने इन सभी नंबरों को ब्लैक लिस्ट कर दिया। इसके बाद ट्राई के नियम लागू हुए। इसके तहत एक आईएमईआई नंबर सिर्फ एक मोबाइल हैंडसेट को दिया जा सकता है।
सबरवाल ने बताया कि जांच में पता चला कि एक ही आईएमईआई नंबर कई हजार मोबाइल हैंडसेट में चल रहा है। यह नियमों का उल्लंघन है। सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा है। यदि इस आईएमईआई वाले किसी मोबाइल फोन से कोई अपराध हुआ तो हम अपराधी को पकड़ भी नहीं पाएंगे। मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है। कंपनी से पूछा जाएगा कि ऐसा कैसे हुआ।
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