नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शानिवार को कहा कि “मिशन शक्ति” की प्रकृति ऐसी है कि इसे किसी भी हालत में गोपनीय नहीं रखा जा सकता क्योंकि उपग्रह को दुनिया भर के कई स्टेशनों द्वारा ट्रैक किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मिशन के लिए भारत सरकार से सभी जरूरी मंजूरियां ली गई थीं। डीआरडीओ प्रमुख के अनुसार, अंतरिक्ष में ध्वस्त किए गए उपग्रह का मलबा 45 दिनों के भीतर ही नष्ट हो जाएगा।
दरअसल, चिदंबरम ने “मिशन शक्ति” को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि उपग्रह को मार गिराने की हमारे पास क्षमता कई वर्षों से रही है। सूझबूझ वाली सरकार देश की इस क्षमता को गोपनीय रखती है। केवल केवल नासमझ सरकार ही देश की रक्षा क्षमता का खुलासा करती है।
जी. सतीश रेड्डीने कहा कि अंतरिक्ष को सैन्य क्षेत्र में भी महत्व मिला है। जब भारत जैसे देश ने इस तरह का अभ्यास किया और स्पेस में लक्ष्य की पहचान करके उसे मार गिराया तो इससे प्रदर्शित हुआ कि आप इस तरह के ऑपरेशनों को अंजाम देने में सक्षम हैं। डीआरडीओ प्रमुख ने यह भी कहा कि “बचाव का सबसे बेहतर तरीका प्रतिरोध है”। देश ने जमीन से अंतरिक्ष में उपग्रह को ध्वस्त करके अपनी प्रतिरोधक क्षमता का परिचय दिया है। यह रक्षा क्षेत्र के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।
गौरतलब है कि भारत ने पिछले दिनों जमीन से अंतरिक्ष में अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए एक एंटी-सैटलाइट मिसाइल से अपने एक उपग्रह को नष्ट किया था। भारतीय वैज्ञानिकों ने महज तीन मिनट में ही इस बेहद जटिल तकनीकी परीक्षण को अंजाम दिया था। करीब छह महीनों से 200 से अधिक वैज्ञानिक इस परियोजना पर काम कर रहे थे। नासा ने भारत के इस मिशन के बारे में कहा था कि भारत के एंटी-सैटलाइट मिसाइल ने अपने लक्ष्य के 400 टुकड़े कर दिए।
सबसे खास बात यह है “मिशन शक्ति” की सफलता के साथ ही भारत “अंतरिक्ष सुपर पॉवर क्लब” में शामिल होने वाल चौथा देश बन गया है। तीन अन्य देश हैं- अमेरिका, रूस और चीन।
डीआरडीओ ने “मिशन शक्ति” पर एक Presentation भी पेश किया है। इस Presentation दिखाया गया है कि कैसे “मिशन शक्ति” को सफल बनाया गया और इसमें कौन-कौन लोग शामिल रहे। इसमें बताया गया है कि इस मिशन के बारे में डीआरडीओ ने 220145 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर ली थी। प्रधानमंत्री की अनुमति के बाद इस मिशन को सफल बनाने के लिए 200 वैज्ञानिकों की टीम ने दिन-रात मेहनत की। अंततः 27 मार्च 2019 को धरती से 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक लाइव सैटेलाइट के ध्वस्त कर भारतीय वैज्ञानिकों ने इस मिशन को सफल बनाया जिसके साथ ही भारत “अंतरिक्ष सुपर पॉवर” के रूप में स्थापित हो गया।
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