लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमितताओं की जांच आखिरकार सीबीआई से कराने का निर्णय ले लिया। प्रयागराज और लखनऊ में दर्ज मुकदमों को इसका आधार बनाया गया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा अनियमित रूप से क्रय-विक्रय और स्थानांतरित की गई वक्फ संपत्तियों की जांच और विवेचना सीबीआई से कराए जाने का फैसला किया गया है। इस संबंध में एक पत्र केंद्र सरकार को भेजा गया है।
अवस्थी ने बताया कि सचिव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय तथा निदेशक सीबीआई को पत्र भेजकर शिया-सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमिता की सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई है। शिया एवं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमितता को लेकर कोतवाली प्रयागराज में वर्ष 2016 में तथा लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 2017 में अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराये गए थे।
दरअसल, 2017 में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी तो उस समय शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों पर घोटाले का आरोप लगाकर सीबीआई जांच कराने की घोषणा हुई थी लेकिन सरकार सीबीआई जांच के लिए जरूरी औपचारिकताएं ही पूरी नहीं कर सकी थी। ढाई साल बाद अब सरकार ने सीबीआई जांच कराने के लिए कागजी औपचारिकता पूरी कर केंद्र सरकार को सिफारिश भेज दी है।
योगी सरकार ने शिया-सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्डों की संपत्तियों में अनियमितता की सीबीआइ जांच की सिफारिश में जिन दो मुकदमों का जिक्र किया है, उनमें शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी आरोपित हैं। लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को कानपुर देहात निवासी तौसीफुल हसन की ओर से दर्ज कराई गई एफआइआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैय्यदैन रिजवी, निरीक्षक वकार रजा के अलावा कानपुर निवासी नरेश कृष्ण सोमानी व विजय कृष्ण सोमानी नामजद आरोपित हैं।
तौसीफुल ने तहरीर में कहा है कि कानपुर के स्वरूप नगर में उनकी मां के नाम संपत्ति है जिसके वह मुतव्वली हैं। आरोप है कि स्वरूप नगर निवासी नरेश कृष्ण सोमानी और उनके भाई विजय कृष्ण इस संपत्ति को हड़पना चाहते हैं। वसीम रिजवी व अन्य आरोपितों ने सांठगाठ कर करीब 27 लाख रुपये का लेनदेन किया गया और 29 मई 2009 को अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनकी मां के नाम दर्ज संपत्ति का वक्फ रजिस्ट्रेशन रद कर दिया और पत्रावली से महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिये। विरोध पर उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गईं। हजरतगंज पुलिस ने धोखाधड़ी और जान से मारने की धाराओं में एफआइआर दर्ज की थी जिसमें पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी।
इस मुकदमे से पहले प्रयागराज कोतवाली में 26 अगस्त 2016 को सुधांक मिश्रा की ओर से वसीम रिजवी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। आरोप था कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम द्वारा प्रयागराज के पुरानी जीटी रोड स्थित मकान नंबर 61/56 इमामबाड़ा गुलाम हैदर पर अवैध ढंग से दुकानों का निर्माण शुरू किया गया। क्षेत्रीय अवर अभियंता व संयुक्त सचिव द्वारा अवैध निर्माण को रोकने के संबंध में कार्रवाई के बावजूद निर्माण कार्य जारी रखा गया। आरोप है कि सात मई 2016 को निर्माण को सीलबंद कराया गया लेकिन उसके बाद भी निर्माण जारी रहा। बाद में सीलबंदी को तोड़कर अनधिकृत रूप से निर्माण कार्य कराये जाने की एफआइआर दर्ज की गई। राज्य सरकार ने इन दोनों मुकदमों की भी सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की है।
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