नई दिल्ली। होम लोन या पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए एक राहत भरी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने मौजूद दरों में कोई भी बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। यानी आपके लोन में ब्याज की दरें फिलहाल नहीं बढ़ेंगी। साथ ही आरबीआई ने रेपो रेट को 4% और रिवर्स रेपो रेट को 3.35% बरकरार रखा है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी हर दो महीने में दरों को बदलने या न बदलने के बारे में बैठक करती है। इसमें उसकी 6 लोगों की टीम होती है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 10.5% की ग्रोथ का अनुमान जताया है। MPC की बैठक बुधवार 3 फरवरी से शुरू हुई थी।
रेपो रेट में अब तक 115 बेसिस पॉइंट की कटौती
जानकारों ने पहले ही उम्मीद जताई थी कि आरबीआई रेपो रेट में कटौती से बचेगा। रेपो रेट का अर्थ आरबीआई द्वारा बैंकों को दिए जाने लोन पर ब्याज दर है। एक फरवरी को पेश बजट 2021-22 के बाद आरबीआई की यह पहली बैठक है। रिजर्व बैंक ने पिछले साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में कुल 115 बेसिस पॉइंट की कटौती की है।
रिवर्स रेपो रेट भी स्थिर
एमपीसी ने पिछली 3 बार के बैठकों में प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। मौजूदा समय में रेपो रेट 4% है, जो 15 साल के न्यूनतम स्तर पर है। वहीं, RBI ने रिवर्स रेपो रेट भी 3.35% पर बरकरार रखा है। इसी दर पर बैंक अपने पास जमा रकम को रिजर्व बैंक के पास जमा कराते हैं।
ब्याज दरें ऊपर की ओर जा सकती हैं
आने वाले समय में लोन की दरें ऊपर जा सकती हैं क्योंकि रिजर्व बैंक ने दरों में कमी करने का फैसला रोक रखा है। रिजर्व बैंक अब महंगाई और ग्रोथ पर फोकस कर रहा है। सरकार भी ग्रोथ बढ़ाने पर ही फोकस कर रही है। इस तरह से ग्रोथ बढ़ने पर ब्याज दरों में कमी रुक जाएगी और आगे चलकर इसमें बढ़त हो सकती है। कुछ बैंक के चेयरमैन का मानना है कि मई-जून के बाद ब्याज दरें ऊपर की ओर जा सकती हैं। क्योंकि तब तक आर्थिक स्थिति सही हो सकती है और मांग बढ़ सकती है। कोरोना पर काफी काबू तब तक हो जाएगा। ऐसे में आप अगर लोन लेना चाहते हैं तो यह सस्ते लोन का अंतिम दौर हो सकता है।
घरेलू अर्थव्यस्था पर भरोसा जता रहे विदेशी निवेशक
चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए उपभोक्ता महंगाई दर (CPI, सीपीआई) 5.2% रहने का अनुमान जताया गया है। इसका पहले अनुमान 5.8% का था। शक्तिकांता दास ने कहा कि विदेशी निवेशक भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जता रहे हैं। इसका ही नतीजा रहा कि हाल के महीनों में एफडीआई और एफपीआई निवेश का फ्लो लगातार बढ़ा है।