samajwadi partyलखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ ‘समाजवादी परिवार’ में चरम पर पहुंच चुकी वर्चस्व की जंग पर विराम लगाने के लिये सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा सोमवार को बुलायी गयी बैठक आरोपों, तल्ख नसीहतों और अप्रत्याशित झड़प के बीच बेनतीजा समाप्त हो गयी। इसके साथ ही पार्टी में जारी गतिरोध ना सिर्फ और बढ़ गया बल्कि ‘चाचा-भतीजे’ के बीच तल्खी की खाई और गहरी हो गयी। हालांकि मीडियाकर्मियों की गैरमौजूदगी में इस बैठक में हुई सिर फुटव्वल के सार्वजनिक हो जाने के बाद देर शाम ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोशिश के तहत शिवपाल अखिलेश के घर गये और उनके साथ एक ही कार में बैठकर सपा मुखिया से मिलने पहुंचे। हालांकि इस मुलाकात का ब्यौरा नहीं मिल सका है, लेकिन खबर है कि मुलायम दांत में तेज दर्द के बाद घर पर आराम कर रहे थे।

दूसरी तरफ, पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित रामगोपाल यादव ने अमर सिंह और शिवपाल यादव को चुनौती दी कि वे दोनों उनके खिलाफ बोलकर दिखाएं।

इसके पूर्व, पार्टी राज्य मुख्यालय पर हुई बैठक में अखिलेश और शिवपाल के बीच तल्खी खुलकर सामने आ गयी। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा बुलायी गयी विधायकों, मंत्रियों, विधान परिषद सदस्यों तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं की अहम बैठक में शिवपाल ने अखिलेश से माइक छीन लिया और कहा कि वह झूठ बोल रहे हैं।

बैठक में सपा मुखिया का सम्बोधन खत्म होने के बाद अखिलेश ने कुछ समय पहले एक अंग्रेजी दैनिक में छपी खबर में खुद को ‘औरंगजेब’ बताये जाने पर स्पष्टीकरण के लिये विधान परिषद सदस्य आशु मलिक को बुलाया। इस दौरान जब अखिलेश कुछ कहने लगे, तभी उनसे माइक छीन लिया गया और शिवपाल यह कहते हुए सुने गये कि मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं।

सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव तथा उनके समर्थक तीन अन्य मंत्रियों की कल बख्रास्तगी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हिमायती वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव के निष्कासन के परिणामस्वरूप अखिलेश और शिवपाल गुटों के बीच तल्खी के चरम पर पहुंचने के बाद सपा मुखिया द्वारा बुलायी गयी इस बैठक के दौरान सपा राज्य मुख्यालय के बाहर अखिलेश और शिवपाल के समर्थकों के बीच मारपीट हुई।

मुलायम ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद अपने भाई शिवपाल और सखा अमर सिंह का बचाव किया और अखिलेश को डांट भरे लहजे में नसीहतों के साथ विवाद को समाप्त करने की कोशिश के तहत अखिलेश और शिवपाल को गले मिलवाया, मगर बैठक का अंत दोनों गुटों के बीच तीखी झड़प और छीनाझपटी के साथ हुआ, नतीजतन बात बनने के बजाय और ज्यादा बिगड़ गयी।

इससे पूर्व, अखिलेश ने बैठक में अपना सम्बोधन शुरू करते हुए बेहद भावुक लहजे में कहा कि नेताजी (मुलायम) ने उन्हें जिम्मेदारी थी, जिसे निभाने की उन्होंने पूरी कोशिश की है। मुलायम चाहें तो वह पद छोड़ने को तैयार हैं। नेताजी जिसे ईमानदार समझते हों, उसे मुख्यमंत्री बना दें। उन्होंने रूंधे हुए गले से कहा ‘कुछ लोगों ने कहा कि मैं अलग पार्टी बना रहा हूं। मैं अलग पार्टी क्यों बनाऊंगा।’ अखिलेश ने सपा महासचिव अमर सिंह का नाम लेते हुए कहा कि कुछ लोग तमाम हथकंडे अपनाकर उनके परिवार में विभाजन कराना चाहते हैं। मैं पार्टी के खिलाफ साजिश करने वालो के खिलाफ बोलूंगा। नेताजी ने हमें गलत चीज का विरोध करना सिखाया है।

शिवपाल ने बैठक में मुख्यमंत्री पर बेहद गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा ‘मैं कसम खाकर कहता हूं। पार्टी उपाध्यक्ष किरणमय नन्दा जी यहां बैठे हैं। अखिलेश जी ने खुद मुझसे कहा था कि मैं अलग दल बनाऊंगा और किसी भी दल से मिलकर चुनाव लड़ लूंगा। मैं गंगाजल उठाकर कसम खाता हूं।’ हालांकि नन्दा ने शिवपाल के दावे को गलत बताते हुए कहा कि उन्होंने अखिलेश से खुद कई बार पूछा था कि क्या वह नई पार्टी बनाएंगे, लेकिन अखिलेश ने हर बार इनकार किया था।

सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने परिवार में जारी खींचतान के लिये जिम्मेदार बताये जा रहे सपा के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह का खुला समर्थन करते हुए कहा कि वर्ष 2003 में उन्होंने प्रदेश में सपा की सरकार बनवायी थी और इसमें अमर सिंह ने सहयोग दिया था। अमर सिंह के विरोधियों खासकर सपा से निष्कासित किये गये पूर्व वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव की तरफ इशारा करते हुए शिवपाल ने कहा ‘अमर सिंह के चरणों की धूल भी नहीं हो तुम लोग।’

सपा मुखिया ने दोनों को सुनने के बाद बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं अमर सिंह और शिवपाल के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। अमर सिंह मेरा भाई है। उसने मुझे जेल जाने से बचाया और तुम (अखिलेश) अमर सिंह को गाली देते हो।’ सपा मुखिया ने अखिलेश पर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा ‘क्या है तुम्हारी हैसियत, मैं जानता हूं। क्या तुम अकेले चुनाव जीत सकते हो।’ हालांकि यह बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गयी, लेकिन मुलायम ने एक स्पष्ट संदेश जरूर दिया कि अगर किसी को सपा में रहना है, तो उसे सपा का बनकर रहना होगा। पार्टी में वही होगा, जो मैं कहूंगा।

सपा मुखिया ने कहा कि केवल लाल टोपी (पार्टी की टोपी) पहन लेने से कोई समाजवादी नहीं हो जाता। तुम्हारी आलोचना करने वाला ही तुम्हारा असली मित्र है। जो आलोचना सुनकर सुधार नहीं करता, वह कभी बड़ा नेता नहीं बन सकता। उन्होंने कहा, ‘हम कठिन दौर का सामना कर रहे हैं, हमें अपनी कमजोरियां दूर करनी चाहिए और एक दूसरे के खिलाफ लड़ना झगड़ना नहीं चाहिए।’

बैठक में शामिल एक पदाधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री को औरंगजेब की उपाधि देने वाले पत्र को प्रेस में कथित रूप से जारी करने वाले विधान परिषद सदस्य आशु मलिक को मुख्यमंत्री ने माइक पर बुलाया गया तो उन्होंने अखिलेश के कंधे पर हाथ रखकर कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा और गोलमोल बातें करने लगे। पदाधिकारी के अनुसार अखिलेश ने जब मंच से सफाई देने की कोशिश की तो उनसे माइक की छीनाझपटी हो गयी। इससे अखिलेश समर्थक नौजवान नाराज हो गये।

बाद में, दोनों गुटों के समर्थक एक-दूसरे से भिड़ गये और जमकर मारपीट हुई। पुलिस को स्थिति सम्भालने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस बीच, मलिक ने बैठक में हुई घटना पर सफाई देते हुए संवाददाताओं से कहा कि उन पर अमर सिंह के इशारे पर मुख्यमंत्री के खिलाफ एक अखबार में खबर छपवाने का आरोप लग रहा है लेकिन सचाई यह है कि उनकी सिंह से ना तो कोई मुलाकात हुई और ना ही कोई बात हुई।

मलिक ने कहा कि उन्होंने खबर छपने के बाद मुख्यमंत्री के पक्ष में सम्बन्धित अखबार को नोटिस भेजा था, और उसने माफीनामा भी छापा था। मुख्यमंत्री आज की बैठक में उनसे उसी के बारे में बोलवाना चाहते थे। इस बीच, कुछ भ्रम पैदा हो गया और कार्यकर्ता उग्र हो गये। उन्होंने आरोप लगाया कि बैठक के बाद जब वह अकेले थे, तब राज्यमंत्री पवन पाण्डेय ने उनके साथ मारपीट की। वह इस मामले में पाण्डेय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।

मलिक ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज बैठक में हंगामे के दौरान उनकी जान बचायी है, और उसके बाद जो भी हुआ उसमें मुख्यमंत्री का कोई दोष नहीं है।

एजेंसी

 

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