नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम (बालिका गृह) मामले में दिल्ली की साकेत अदालत ने 19 लोगों को दोषी ठहराया है। इन सभी को शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों के यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया है। सजा का ऐलान आगामी 28 जनवरी को किया जाएगा। अदालत ने एक आरोपित मोहम्मद साहिल उर्फ विक्की को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ की अदालत ने मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को 1045 पन्नों के अपने आदेश में दोषी ठहराया है। इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया था।

गौरतलब है कि मुजफ्फपुर के शेल्टर होम में छात्राओं के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। मेडिकल टेस्ट में तकरीबन 34 बच्चियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी। सुनवाई के दौरान पीड़ितों ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें नशीला दवाएं देने के साथ मारा-पीटा भी जाता था, फिर उनका यौन शोषण किया जाता था।

सीबीआइ की चार्जशीट के अनुसार, मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में कर्मचारी-अधिकारी भी शामिल थे। वे भी मासूम बच्चियों को दरिंदगी का शिकार बना रहे थे। यह भी आरोप है कि बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी बच्चियों के साथ गलत काम में संलिप्त थे।


मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर ने 2000 में मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से बिहार पीपुल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा थापर हार गया था। आरोपितों में 12 पुरुष और आठ महिलाएं शामिल थीं।

2018 में सामने आया था मामला


यह मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंसेज की ओर से 26 मई 2018 को बिहार सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट के बाद सामने आया था। इस रिपोर्ट में किसी आश्रय गृह में पहली बार नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ था। अदालत ने इस मामले में दोषियों को सजा सुनाने के लिए 28 जनवरी 2020 की तारीख तय की है।

 

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