नैनी झील को नैनीताल की जीवनरेखा माना जाता है और अपनी खूबसूरती के कारण यह सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इसके अलावा यह झील शहर को पीने तथा अन्य जरूरतों के लिए पानी की आपूर्ति का भी एकमात्र स्रोत है। पूर्व के वर्षों में झील में न्यूनतम निशान से कम से कम 5 से 7 फुट तक पानी रहता था लेकिन इस बार फरवरी के अंत तक यह शून्य स्तर से भी एक फुट नीचे चला गया है।
सामान्यत: सर्दियों में दिसंबर से लेकर मार्च तक अच्छी बारिश और बर्फबारी झील में जलस्तर बनाये रखने में मददगार होती थी। लेकिन इसबार सर्दियों में मध्यम बारिश होने के बावजूद झील का जलस्तर सबसे निचले स्तर पर चला गया है।
पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे और कुमाऊं विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर रितेश शाह ने कहा, ‘पिछले सालों में अल नीनो प्रभाव के कारण हुए जलवायु परिवर्तन से मौसम शुष्क हो गया और नैनी झील का जलस्तर नीचे चला गया।’
हालांकि, वर्ष 2017 में सर्दियों में सामान्य बारिश और कुछ बर्फबारी होने के बावजूद जलस्तर में इतनी गिरावट होने से स्थिति चिंताजनक हो गयी है। झील में और उसके आसपास डेल्टा के नजर आने से नैनी झील की डरावनी तस्वीर उभरने लगी है। पहले यह डेल्टा केवल गर्मियों में शुष्क मौसम होने पर ही नजर आते थे।
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