ल्यूकेमिया आम तौर पर बच्चों को होने वाला कैंसर है और बताया जाता है कि करीब 150 बच्चे ‘एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया’ (एएलएल) से पीड़ित हैं। इनमें से करीब 15 फीसदी बच्चों को ‘एएलएल’ का तीव्र उपप्रकार ‘टी-एएलएल’ है जिन पर इस बीमारी के इलाज का बहुत कम असर होता है या नहीं होता।
चिल्ड्रेन कैंसर इन्स्टीट्यूट स्थित यूएनएसडब्ल्यू कन्जॉइंटन रिचर्ड लॉक एंड डोन्या मोराडी मानेश के अध्ययन से पता चलता है कि टी-एएलएल के प्रयोगशाला मॉडलों पर दवा पीआर-1042 का प्रभावी असर होता है। अध्ययन के नतीजे प्रतिष्ठित जर्नल ब्लॅड में प्रकाशित हुए हैं।
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