नई दिल्ली। राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के दोषी मुकेश को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। शीर्ष अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी है। दरअसल, राष्ट्रपति ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। अब मुकेश के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेल में उसके साथ कथित गलत व्यवहार राष्ट्रपति के फैसले के रिव्यु का ग्राउंड नहीं है। राष्ट्रपति द्वारा याचिका के जल्द निपटान का यह मतलब नहीं है कि विवेक का इस्तेमाल नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “इस केस में कोर्ट का दखल जरूरी नहीं है। राष्ट्रपति के समक्ष सारे दस्तावेज रखे गए और उन्होंने सब देखकर ही फैसला लिया।”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुकेश के वकील
एपी सिंह ने फिर दया याचिका खारिज होने के तरीके पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि
दिल्ली सरकार ने खुद कहा कि बिजली की रफ्तार से दया याचिका खारिज की गई। गौरतलब है
कि निर्भया का अन्य दोषी अक्षय भी अब क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर चुका है। इसके
बारे में सवाल पूछे जाने पर एपी सिंह ने कहा कि यह क्यूरेटिव पिटीशन नए ग्राउंड पर
दाखिल की गई है।
निर्भया के
चारों दोषियों में से एक मुकेश के सभी कानूनी
विकल्प खत्म हो चुके हैं। बावजूद इसके सिर्फ उसे फांसी नहीं हो सकती। फांसी तब ही
होगी जब चारों के कानूनी विकल्प खत्म हो जाएंगे। निर्भया मामले में फांसी का सामना कर रहे चार गुनहगारों में से एक मुकेश ने
राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने की न्यायिक समीक्षा की मांग की थी। मंगलवार
को मुकेश की ओर से वकील अंजना प्रकाश ने आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रपति के सामने
पूरे दस्तावेज नहीं रखे गए थे। दया याचिका को जल्दबाजी में खारिज किया गया। वकील
ने कहा था कि यह न्याय को खत्म करना है। इस पर अदालत ने पूछा कि आप यह कैसे कह
सकती हैं कि राष्ट्रपति के सामने पूरे तथ्य नहीं रखे गए थे? यह कैसे कहा जा सकता
है कि राष्ट्रपति ने सही से विचार नहीं किया?
केंद्र की ओर से
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मुकेश की मर्सी पिटीशन के साथ सारे रेकॉर्ड
राष्ट्रपति को भेजे गए थे। राष्ट्रपति को कौन-सा रेकॉर्ड देखना है, ये उनका विशेषाधिकार
है और वह इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे,
इसमें दखल नहीं दिया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के
फैसले के बाद निर्भया की मां ने कहा कि दोषी भले ही मामले को लटका रहे हों लेकिन न्याय जरूर
होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि 1 फरवरी को फांसी जरूर होगी। उन्होंने कहा कि ‘काफी लंबी लड़ाई लड़ी है। आगे भी लड़ेंगे।
सात साल से देख रहे। आगे कानून पर भरोसा है कि इंसाफ होगा।
23 वर्षीय निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर 2012 की रात छह व्यक्तियों ने सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया का बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था।नि
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