नई दिल्ली। सात साल पहले दिल्ली में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले के दोषियों को “डेथ वारंट” जारी करने को लेकर दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में सुनवाई 7 जनवरी 2020 तक के लिए टाल दी गई है। सुनवाई टलने के बाद कोर्ट रूम में खड़ी निर्भया की मां आशा देवी रोने लगीं. इससे पहले निर्भया कांड के चार दोषियों में से एक अक्षय की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्त भानुमति की अध्यक्षता वाली नई पीठ ने खारिज कर दिया। पीठ के अन्य सदस्य हैं- न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति बोपन्ना।

निर्भया दुष्कर्म मामले में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले के खिलाफ एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें “मानवता रोती” है और यह मामला उन्हीं में से एक है। मेहता ने कहा, “कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे। ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए। दोषियों की ओर से से पेश हुए वकील एपी सिंह ने अदालत में अजीबोगरीब तर्क दिया कि दिल्ली-एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण की वजह से पहले ही लोगों की उम्र कम हो रही है और इसलिए दोषियों को मौत की सजा देने की कोई जरूरत नहीं है।

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