स्टॉकहोम। भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र के नोबोल पुरस्कार से सममीनित किया जाएगा। वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए तीनोंको सम्मानित किया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने सोमवार को इसकी घोषणा की।
इस पुरस्कार को आधिकारिक तौर पर “बैंक ऑफ स्वीडन प्राइज इन इकोनॉमिक साइंसेज इन मेमोरी ऑफ अल्फ्रेड नोबेल” के रूप में जाना जाता है। यह पुरस्कार नोबेल पुरस्कारों के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल द्वारा शुरू नहीं किया गया था लेकिन इसे नोबेल पुरस्कारों का हिस्सा माना जाता है। एकेडमी ने अपने बयान में कहा, “इन्होंने वैश्विक गरीबी से लड़ने के सर्वोत्तम तरीकों को लेकर एक विश्वसनीय और नया दृष्टिकोण पेश किया है।” उन्हें 90 लाख स्वीडिश क्राउन (9लाख 15हजार 300 डालर) मिलेगा।
एक बयान में नोबेल समिति ने कहा, “इस साल के पुरस्कार विजेताओं द्वारा किए गए शोध से वैश्विक गरीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में काफी सुधार हुआ है। केवल दो दशकों में, उनके नए प्रयोग-आधारित दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को बदल दिया है, जो अब अनुसंधान का एक समृद्ध क्षेत्र है।“
अभिजीत बनर्जी का कोलकाता में हुआ था जन्म
कोलकाता में जन्में 58 वर्षीय अभिजीत बनर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 1988 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वह वर्तमान में एमआइटी वेबसाइट पर अपनी प्रोफाइल के अनुसार मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं। बनर्जी ने डुफ्लो और सेंथिल मुलैनाथन के साथ, अब्दुल लतीफ जमील गरीबी एक्शन लैब (J-PAL) की स्थापना की और वह लैब के निदेशकों में से एक रहे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पद 2015 विकास एजेंडा पर प्रख्यात व्यक्तियों के उच्च-स्तरीय पैनल में भी कार्य किया।