नई दिल्ली। पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर रोक लग गयी है। अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने जाधव की फांसी के सजा की तामील पर रोक लगा दी है। भारत की अपील पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने यह रोक लगायी है।विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार रात कहा कि उन्होंने कुलभूषण की मां से बात की है और कोर्ट के आदेश से उन्हें अवगत कराया है।
Have spoken to mother of #KulbhushanJadhav,told her about order of President, ICJ under Art 74 Paragraph 4 of Rules of Court: Sushma Swaraj
— ANI (@ANI) May 9, 2017
बता दें कि पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई है।अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने भारत के तरफ से पैरवी की।
Mr.Harish Salve, Senior Advocate is representing India before International Court of Justice in the #KulbhushanJadhav case.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 9, 2017
भारत ने जाधव की फांसी की सजा के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपील की थी।गत 10 अप्रैल को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी।अं
पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने गत 10 अप्रैल को जाधव को ‘जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों’ में दोषी पाये जाने के बाद उसे मौत की सजा सुना दी जिस पर भारत ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान यदि मौत की सजा की तामील करता है तो यह सुनियोजित हत्या होगी। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब कर उन्हें ‘डिमार्शे’ दिया जिसमें कहा गया है कि जिस कार्यवाही के आधार पर जाधव को यह सजा दी गई है वह ‘हास्यास्पद’है और उनके खिलाफ कोई ‘विश्वसनीय साक्ष्य’नहीं हैं।
विदेश सचिव एस जयशंकर ने भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब कर बेहद कड़े शब्दों का डिमार्शे दिया।जाधव मामले पर पाकिस्तानी सेना की मीडिया इकाई इंटर सर्विसेस पब्लिक रिलेशन्स (आईएसपीआर) की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कहा कि पिछले साल ईरान से उनका अपहरण किया गया था और पाकिस्तान में उनकी मौजूदगी के बारे में कभी कोई विश्वसनीय विवरण नहीं दिया गया।
डिमार्शे के मुताबिक भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग के जरिए वाणिज्य दूतावास को जाधव तक संपर्क देने की मांग की और 23 मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच ऐसे 13 अनुरोध औपचारिक तरीके से किए गए लेकिन ‘पाकिस्तानी अधिकारियों ने इसकी इजाजत नहीं दी।’इसमें कहा गया कि, ‘कार्यवाही जिसके चलते जाधव को यह सजा सुनाई गई वह ‘हास्यास्पद है और उनके खिलाफ बगैर किसी भरोसमंद सबूत के है।’ इसमें कहा गया कि यह अहम है कि भारतीय उच्चायोग को जाधव पर मुकदमा चलाने की सूचना तक नहीं दी गई।
दिलचस्प बात यह है कि विदेशी मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने कथित तौर पर सात दिसंबर को पाकिस्तान की सीनेट को बताया था कि जाधव पर ‘डोजियर’ महज ‘बयान’हैं और इसमें कोई भी ‘निर्णायक साक्ष्य’नहीं हैं। यहां तक कि उन्होंने कहा था कि सामग्री ‘अपर्याप्त’हैं और ‘अब यह संबद्ध अधिकारियों पर निर्भर करता है कि एजेंट के बारे में और जानकारी वह हमें कितने समय में देंगे।’ जाधव को कथित तौर पर ईरान से प्रवेश करने के बाद पिछले वर्ष तीन मार्च को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने अशांत बलुचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था। पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि जाधव रॉ में तैनात भारतीय नौसेना का ‘सेवारत अधिकारी है’।