नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विपक्षी दलों की बैठक के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार लोगों को दबाने, नफरत फैलाने और लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश कर रही है। अभूतपूर्व घबराहट का माहौल है। संविधान को कमजोर किया जा रहा है और गवर्नेंस के साधनों का दुरुपयोग हो रहा है।

गौरतलब है कि कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सभी समान विचारधारा वाले दलों को साझा रणनीति बनाने के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन, इस बैठक से पहले ही विपक्ष दोफाड़ नजर आया। बसपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और आम आदमी (आप) ने इस बैठक में शामिल होने से इन्कार कर दिया।

बैठक में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा, “प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने लोगों को गुमराह करने का काम किया है। उन्होंने हफ्तों पहले दिए अपने ही अपने खुद के बयानों का खंडन किया है।”

सोनिया गांधी ने कहा कि युवाओं ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किए हैं जिन्हें देशवासियों का समर्थन प्राप्त था। सीएए और एनआरसी इसकी तत्कालिक वजह लगते हैं लेकिन यह लोगों के अंदर की निराशा और गुस्से को दिखाता है और यह अब खुलकर बाहर आ गया है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में पुलिस की प्रतिक्रिया क्रूर और पक्षपातपूर्ण रही है।

कांग्रेस द्वारा बुलाई गई इस बैठक में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद, भाकपा के डी. राजा, रालोद के अजित सिंह तथा कई अन्य नेता शामिल हुए। इस बैठक में एनसीपी, आरजेडी समेत 20 दलों के लोगों हिस्सा लिया।  बसपा, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस समेत 6 दल इस बैठक में शामिल नहीं हुए। इस बैठक में डीएमके (द्रमुक) की गैर-मौजूदगी भी हैरान करने वाली और एक बड़ा झटका है क्योंकि एमके स्टालिन की पार्टी लगातार तमिलनाडु में एआईएडीएमके सरकार पर केन्द्र की एनडीए सरकार के कदमों से दूर रहने का दबाव दे रही थी।

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