लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानीलखनऊ में 19 जनवरी 2019 को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ और आगजनी करने वाले बुरे फंसे। अपर जिला अधिकारी की अदालत ने 13 लोगो पर आरोप तय करते हुए 21.76 लाख रुपये की वसूली (Recovery) करने का आदेश जारी किया है। इस मामले में बाकी आरोपितों पर सुनवाई अभी चल रही है। कोर्ट ने इन सभी 13 लोगों को हर्जाने का राशि जमा करने के लिए 30 दिन का समय दिया है। लखनऊ में इस मामले में वसूली का यह पहला आदेश जारी हुआ है। गौरतलब है कि दंगे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से पाई-पाई वसूली जाएगी।
अपर जिला अधिकारी की अदालत ने जहां इन लोगों से वसूली करने का आदेश दिया है, वहीं सात लोगों के खिलाफ वसूली नोटिस खारिज भी किया है। जिनको नोटिस जारी हुआ है, उन लोगों की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ ही वाहनों में तोडफ़ोड़ और आगजनी करने में संलिप्तता पायी गई है। 16 मार्च 2020 तक रिकवरी की धनराशि सभी को मिलकर या एक अकेले को जमा करनी होगी। गौरतलब है कि दंगे के दौरान टीवी चैनल की ओबी वैन समेत करीब एक दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।
जिलाधिकारी लखनऊ अभिषेक प्रकाश ने कहा कि 19 दिसंबर 2019 को हुए उग्र प्रदर्शन को लेकर एडीएम टीजी की कोर्ट का यह पहला फैसला है। अभी 4.5 करोड़ की रिकवरी और बाकी है। आने वाले दिनों में कोर्ट इस तरह के और फैसले सुनाएगी। जिन 13 लोगों पर रिकवरी तय हुई है उनको हर हाल में 16 मार्च 2020 तक रुपये जमा करने होंगे वरना उनकी संपत्तियों की कुर्की की जाएगी।
आपको याद होगा कि लखनऊ के खदरा में 19 दिसंबर 2019 सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शन में भीड़ अचानक उग्र और हिंसक हो गई थी। इस दौरान हिंसा पर उतारू लोगों ने आम लोगों के साथ ही सरकारी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचाया था।