नई दिल्‍ली। शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप TikTok पर प्रतिबंध का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। ऐप पर प्रतिबंध लगाने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की गई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस पर गौर किया जाएगा।TikTok को करीब डेढ़ साल पहले भारत में लॉन्च किया गया था और फरवरी 2018 में यह सबसे ज्यादा डाउनलोड किया जाने वाला शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप बन गया। TikTok के इस समय भारत में 54 मिलियन (5.4 करोड़) मंथली एक्टिव यूजर्स हैं।

इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में केंद्र सरकार से चीनी ऐप TikTok को यह कहते हुए बैन करने की सलाह दी थी कि यह चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा है। कोर्ट ने TikTok ऐप द्वारा बनाए गए वीडियो को टेलीकास्ट करने से भी रोकने को कहा है। कोर्ट ने ऐप को बैन करने के आदेश में यह कहा कि यह चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा है। मद्रास हाईकोर्ड के मदुरै बेंच ने TikTok ऐप के विरोध में एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। मदुरै के वरिष्ठ अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता मूथू कुमार ने कल्चरल डिग्रेडेशन, चाइल्ड अब्यूज और आत्महत्याको को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए  TikTok  के विरोध में याचिका दायर की थी।

मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र से 16 अप्रैल तक मांगा है जवाब

मद्रास हाई कोर्ट के न्यायामूर्ति एन. किरूबाकरण और एसएस सुंदर की पीठ ने केंद्र सरकार से 16 अप्रैल से पहले जबाब मांगा है। मद्रास हाईकोर्ट ने अपने आदेश में केंद्र सरकार से जबाब मांगते हुए कहा, “क्या केंद्र सरकार अमेरिका की तरह चाइल्ड ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट की तरह ही कोई नीति ला सकती है जो बच्चों को ऑनलाइन विक्टिम बनने से रोक सके?”

TikTok के प्रवक्ता ने सोमवार को एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि कंपनी स्थानीय कानून का पूरी तरह से सम्मान करती है और कोर्ट के आदेश की प्रतिका इंतजार कर रही है। इसके बाद ही किसी भी तरह का एक्शन लिया जाएगा।

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