मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मौजूद इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर साइंस के डायरेक्टर डॉ. एसके सरीन ने कहा, “कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों को अब देशभक्ति दिखाते हुए प्लाज्मा देना चाहिए।”
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से बेहाल दुनिया को इसकी वैक्सीन का इंतजार है। भारत, अमेरिका, इंग्लैंड और चीन समेत कई देशों की सैकड़ों लेबोरेट्रीज में इस पर शोध चल रहा है। वैक्सीन आम लोगों तक पहुंचने में कई महीने लग सकते हैं। ऐसे में संक्रमण का शिकार हो चुके लाखों लोगों की जिंदगी बचाना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे कठिन दौर में प्लाज्मा थेरपी ने नई उम्मीद जगाई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को इसका इशारा दिया। उन्होंने बताया कि दिल्ली के 4 मरीजों पर इसका प्रयोग किया गया जिसके नतीजे अच्छे आए हैं। अब केंद्र सरकार से बाकी गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थेरपी देने के लिए इजाजत मांगी जाएगी।
केजरीवाल ने यह भी कहा, “शुरुआती परिणाम उत्साहवर्धक हैं लेकिन इसे अभी कोरोना का इलाज न माना जाए।” केजरीवाल और उनके प्रेस वार्ता में मौजूद इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर साइंस के डायरेक्टर डॉ. एसके सरीन ने कहा, “कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों को अब देशभक्ति दिखाते हुए प्लाज्मा देना चाहिए।” केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद दिल्ली सरकार की तरफ से अब तक लोक नायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में चार मरीजों को प्लाज्मा ट्रीटमेंट दिया गया। अच्छी खबर यह है कि चारों मरीजों के पॉजिटिव नतीजे दिख रहे हैं। डॉ. सरीन ने बताया कि चार में से दो मरीज अगले कुछ दिन में डिस्चार्ज हो सकते हैं। इससे पहले तक ये लोग वेंटिलेटर पर जाने की स्थिति में थे। अब दोनों को आईसीयू से साधारण वॉर्ड में शिफ्ट किया जानेवाला है। अरविंद केजरीवाल ने बताया कि प्लाज्मा ट्रीटमेंट से पहले मरीजों का रेस्पिरेटरी रेट 30 था जो कि 15 होना चाहिए। अब प्लाज्मा ट्रीटमेंट के बाद रेस्पिरेटरी रेट 20 हो गया है।
अरविंद केजरीवाल और डॉक्टर एसके सरीन दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हुए मरीज जो होम क्वारेंटीन में हैं, उन्हें अब देशभक्ति दिखानी चाहिए। उन्हें अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आना चाहिए। डॉ. सरीन ने बताया कि इस थेरेपी का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बताया कि ठीक हुए मरीजों के पास सरकार की तरफ से फोन जाएगा। अगर वे राजी होंगे तो वाहन भेजकर उन्हें हॉस्पिटल बुलाया जाएगा, फिर वे प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।
प्लाज्मा थेरपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसे एंटीबॉडी थेरपी भी कहा जाता है। किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तभी बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है। अभी कोरोना वायरस फैला हुआ है। जो मरीज इस वायरस की वजह से बीमार हुआ था, जब वह ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनता है। इसी एंटीबॉडी के बल पर मरीज ठीक होता है। जब कोई मरीज बीमार रहता है तो उसमें एंटीबॉडी तुरंत नहीं बनता है, उसके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में देरी की वजह से उसकी हालत गंभीर हो जाती है। इस थेरेेपी में बीमारी से ठीक हुए व्यक्ति के खून की जरूरत होती है जिससे प्लाज्मा निकाल कर बीमार व्यक्ति को दिया जाता है।
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