नई दिल्ली। लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई श्रमिक स्पेशन ट्रेनों में यात्री किराये की वसूली को लेकर राजनीतिक घमासान छिड़ा हुआ है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार, खासकर भारतीय रेल को घेरने की कोशिश की तो रेलवे ने साफ कर दिया कि कोई भी टिकट खिड़की नहीं खुली है और ना ही किसी भी श्रमिक से किराया वसूला गया है। रेलवे ने यह भी साफ किया कि है वह राज्य सरकारों से केवल मानक किराया वसूल रहा है जो उसकी कुल लागत का महज 15 प्रतिशत है। इस बीच बिहार की नीतीश कुमार सरकार, मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार और छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार ने कहा है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों की घर वापसी का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने इस पर चुप्पी साध रखी है जिस पर श्रमिकों से रेल किराया वसूलने का आरोप है।

 रेलवे के मुताबिक, केरल और महाराष्ट्र से जाने वाले यात्रियों से किराया वसूल किया गया है, बाकी राज्यों ने मुफ्त में ही मजदूरों को सफर कराया है। गौरतलब है कि केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र तीनों ही राज्यों में गैर भाजपा सरकार है।

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे कई राज्यों ने मुफ्त में ही मजदूरों को सफर कराया है। रेलवे का कहना है कि उसने राज्य सरकारों को परिचालन कीमत का 15 प्रतिशत किराया ही चुकाने को कहा है। अभी तक कई राज्य रेलवे को भुगतान कर चुके हैं और कई का प्रोसेस जारी है।

नीतीश ने कहा- गलत प्रचार किया जा रहा

 बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जो भी लोग बाहर से आ रहे हैं उन्हें जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर बने क्वारंटीन सेंटर पर 21 दिन रखा जाएगा। इन क्वारंटीन सेंटर पर बाहर से आने वाले लोगों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था के साथ रहने और चिकित्सा की भी बेहतर व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि बाहर से आए लोग जब क्वारंटीन सेंटर से वापस घर जाएंगे तो उन्हें आने जाने के खर्च के साथ अलग से पांच सौ रुपये भी दिए जाएंगे। नीतीश कुमार ने कहा कि किसी भी हाल में यह रकम 1000 से कम नहीं होगी। नीतीश ने रेल किराया मजदूरों से वसूलने की बात कहने वाले विपक्ष को भी आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि यह गलत प्रचारित किया जा रहा था कि राज्य सरकार या केंद्र सरकार ट्रेन से आने वाले लोगों से पैसे वसूल रही है। यही वजह है कि वो खुद सामने आकर बिहारवासियों को बता रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति से कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है।

सोनिया ने कहा- दिहाड़ी मजदूरों से किराय वसूलना सही नहीं

इससे पहले आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सरकार गरीब, दिहाड़ी मजदूरों से किराया वसूलती है, यह ठीक नहीं है। यदि केंद्र सरकार उनसे किराया वसूलती है तो कांग्रेस उनका किराया देने के लिए तैयार है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिंदी में ट्वीट करते हुए लिखा, “एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है। जरा ये गुत्थी सुलझाइए।”

भाजपा ने दी सफाई

रेल किराए को लेकर मोदी सरकार की खूब आलोचना हुई। इस वजह से भाजपा को खुद मैदान में कूदना पड़ा। इस बात को साफ किया गया कि रेलवे ने प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रही स्पेशल ट्रेन के किराए का 85 फीसदी देने का फैसला किया है और 15 फीसदी राज्यों से वसूला जाएगा, जो मानक किराया होगा। भाजपा के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि स्टेशनों पर कोई टिकट नहीं बिकेगा। रेलवे 85 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है तो 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। प्रवासी मजदूरों को कोई पैसा नहीं देना है। सोनिया गांधी क्यों नहीं कांग्रेस शासित प्रदेशों को खर्च उठाने के लिए कहतीं। 

बिहार लौटे मजदूरों ने कही यह बात

किराये वसूलने के मुद्दे पर बिहार लौटे मजदूरों ने बताया कि उन्हें टिकट के लिए कोई पैसा नहीं देना पड़ा है। जयपुर से स्पेशल ट्रेन में 1186 मजदूर बिहार पहुंचे हैं। इनमें सासाराम आने वाले 169 मजदूर भी शामिल हैं। इन मजदूरों ने बताया कि उन लोगों को जयपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट उपलब्ध कराया गया। उस टिकट का कोई पैसा नहीं लिया गया। प्रवासी मजदूरों ने अपने यात्रा टिकट को भी दिखाया। उन्होंने कहा कि जयपुर स्टेशन पर ‘जयपुर से पटना’ तक का 390 रुपये का टिकट उन लोगों को मुफ्त में दिया गया। रास्ते में खाने-पानी की भी व्यवस्था मुफ्त में की गई।

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