लाहौर। पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर लाहौर में स्थित दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी सूफी दरगाह दाता दरबार में बुधवार को हुए एक शक्तिशाली विस्फोट में 5 पुलिसकर्मियों समेत कम-से-कम 9 लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य घायल हो गए। इससे पहले 1 जुलाई 2010 को यहां दो आत्मघाती बम धमाके हुए थे जिनमें 50 लोग मारे गए थे जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए थे।
पुलिस ने बताया कि दाता दरबार के गेट नंबर दो के निकट दो पुलिस वाहनों को निशाना बनाया गया गया। जियो न्यूज ने लाहौर के संचालन उप महानिरीक्षक अशफाक अहमद खान के हवाले से बताया है कि विस्फोट में तीन पुलिस अधिकारी मारे गये। मारे जाने वालो में एक सुरक्षा गार्ड और एक स्थानीय निवासी भी शामिल है। कम से कम 24 लोगों का इलाज किया जा रहा है जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है।
दुर्घटनास्थल पर मौजूद अधिकारी ने बताया कि विस्फोट की प्रकृति का अभी तक पता नहीं चल सका है और यह कहना अभी बहुत जल्दबाजी होगी कि यह आत्मघाती हमला था या नहीं। पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और विस्फोट की प्रकृति का पता लगाने का प्रयास कर रही है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि टीम घटना के मूल्यांकन पर काम कर रही है। उन्होंने बताया, ”आतंकवादी विरोधी विभाग सहित सभी विभाग काम कर रहे हैं। हम नागरिकों की सुरक्षा के प्रयासों के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।“
प्रधानमंत्री इमरान खान ने लाहौर में दाता दरबार के बाहर विस्फोट की कड़ी निंदा की है और अधिकारियों से एक रिपोर्ट मांगी है। प्रधानमंत्री ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति दुख व्यक्त किया है और विस्फोट में घायलों को सर्वश्रेष्ठ संभावित चिकित्सा उपचार मुहैया कराने का निर्देश दिया। है
दाता दरबार 11वीं सदी के सूफी संत अबू हसन अल हुजवीरीकी दरगाह है। उनको दाता गंज बख्श भी कहा जाता है। माना जाता है कि 11वीं सदी में ये सूफी संत इस स्थल पर रहते थे। दाता दरबार में हर साल करीब 10 लाख लोग उर्स के लिए आते हैं। जनरल जिया उल हक के दौर में इस दरगाह का विस्तार किया गया। हालांकि उससे पहले 1960 के औकूफ अध्यादेश के तहत सरकार ने इसको अपने नियंत्रण में ले लिया था।