नई दिल्‍ली। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को संशोधित गर्भपात विधेयक यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी बिल-2020 (Medical Termination of Pregnancy Amendment Bill-2020) को मंजूरी दे दी। इस विधेयक में गर्भपात की अधिकतम सीमा 20 हफ्ते से बढ़कर 24 हफ्ते कर दी गई है, यानी अब महिलाएं गर्भावस्था के 24वें हफ्ते में  भी गर्भपात करा सकेंगी। कैबिनेट ने आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा पद्धति के लिए आयोग बनाने को भी मंजूरी दे दी है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने कैबिनेट के इस फैसले के बारे में जानकारी दी। 

गौरतलब है महिलाओं के साथ-साथ डॉक्टरों और अदालत की ओर से लंबे समय से ऐसी मांग की जा रही थी। हालांकि अभी इस विधेयक को कानून बनने के लिए लंबा रास्‍ता तय करना होगा। विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किए जाने की तैयारी है।

इस विधेयक के लिए वर्ष 2014 से ही विभिन्‍न हितधारकों से चर्चा की जा रही थी। इसके लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह का भी गठन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके लिए गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971) में संशोधन किया जाएगा।   

जावड़ेकर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले से नाबालिगों को मदद मिलेगी। इस विधेयक को स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने ड्राफ्ट किया है। उन्होंने यह भी कहा कि 20 हफ्ते में गर्भपात कराने पर मां की जान जाने के कई मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञों की राय है कि 24 हफ्ते में गर्भपात कराना सुरक्षित होगा। इस फैसले से दुष्‍कर्म पीड़िताओं और नाबालिगों को काफी मदद मिलेगी। 

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