लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्तर प्रदेश में 18 और 19 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ होने के तमाम सबूत पुलिस और खुफिया एजेंसियों को मिले हैं। इसके चलते प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के इस सहयोगी संगठन पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने पीएफआई की हर स्तर पर भूमिका को लेकर जांच तेज करने के निर्देश दिए हैं।
पुलिस का दावा है कि उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा में पीएफआई की भूमिका संदिग्ध है। पुलिस और सरकार ने दावा किया है कि प्रतिबंधित संगठन सिमी के लोग ही पीएफआई नाम के संगठन में शामिल हैं। इन लोगों ने नियोजित तरीके से हिंसा करने के लिए प्रदर्शनकारियों को उकसाया। पुलिस हिंसा के कारणों के साथ इसके पीछे के लोगों की भी जांच कर रही है। जांच इसकी भी हो रही है कि हिंसा सिर्फ भीड़ के गुस्से की वजह से हुई या फिर इसको नियोजित तरीके से कराया गया है। इसी जांच में पीएफआई की सक्रिय भूमिका सामने आई है। इसके बाद ताबड़तोड़ छापापारी में अलग-अलग जिलों से दर्जन भर से अधिक पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। पीएफआई के सक्रिय कार्यकर्ताओं को लखनऊ, शामली और मेरठ से गिरफ्तार भी किया गया है। इनके पास से मोबाइल फोन, भड़काऊ मैसेजेस और ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनका प्रयोग लोगों को हिंसा के लिए उकसाने में किया गया था।
पुलिस के अनुसार पीएफआई खुद को एक ऐसे संगठन के तौर पर प्रदर्शित करता है जो लोगों को उनके हक दिलाने और सामाजिक हितों के लिए काम करता है लेकिन असल में इसका असल मदसद कुछ और है। यह न केवल लोगों खासकर छात्रों को भड़काने और राह से भटकाने का काम कर रहा हैय़ पीएफआई पहले भी कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है। वर्तमान में इसका असर 13 राज्यों में है और कई मुस्लिम संगठन इससे सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश में लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर आदि में हुई हिंसा की अब तक की जांच में पता चला है कि पीएफआई से जुड़े लोगों ने फेसबुक ,वाट्सऐप आदि पर भड़काऊ सामग्री पोस्ट कर लोगों को उकसाया।
लखनऊ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक एसके भगत ने बताया कि सिमी के बैन होने के बाद पीएफआई को खड़ा किया गया। 18-19 दसबर को हुई हिंसा के बाद इस संगठन के तीन लोगों को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से आपत्तिजनक सामग्र मिली सिमी पर प्रतिबंध के बाद अब इनके सक्रिय लोगों के पीएफआई में होने की बात सामने आ रही है।
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