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कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत को मिली बड़ी जीत

नई दिल्‍ली भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव (49) मामले में भारत को पाकिस्तान पर बड़ी जीत हासिल हुई है। इस मामले में नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने भारत के पक्ष में फैसला दिया है। आइसीजे के कानूनी सलाहकार रीमा ओमर के अनुसार न्यायालय ने पाकिस्तान से जाधव को काउंसलर एक्सेस देने को कहा है। साथ ही फांसी की सजा पर प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। भारत के पक्ष में यह फैसला 15-1 से आया।

फैसले के दौरान 16 में से 15 जजों ने भारत के पक्ष में फैसला दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण से बात करने और उसे कानूनी सहायता उपलब्ध कराने से रोका है। कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान का व्यवहार वियना संधि का उल्लंघन है। अदालत ने जाधव की फांसी पर रोक लगाते हुए कहा कि यह रोक तब तक रहेगी जब तक पाकिस्तान प्रभावी तौर से इस पर पुनर्विचार नहीं करता। आईसीजे ने यह भी कहा कि जाधव को राजनीतिक मदद दी जानी चाहिए।

इससे पहले मामले की सुनवाई के लिए नीदरलैंड में भारत के राजदूत वीनू राजामोनी और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान) दीपक मित्तल अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पहुंचे। कोर्ट ने कुलभूषण जाधव को भारतीय नागरिक मान लिया है और कहा कि कई मौकों पर पाकिस्तान की तरफ से जाधव को भारतीय नागरिक कहकर संबोधित किया गया।

गौरतलब है कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कुलभूषण को फांसी की सजा सुनाई थी। इसे लेकर भारत द्वारा की गई अपील पर तकरीबन पांच महीने पहले दोनों देशों के वकीलों बीच हुई बहस के बाद कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।

ईरान से अपहरण, बलूचिस्तान में गिरफ्तारी का दावा

गौरतलब है कि पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत जासूसी के आरोप में जाधव को फांसी की सजा सुना चुकी है जिसे भारत ने बेबुनियाद बताया है. भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव का पाकिस्तानी एजेंसियों ने तीन मार्च 2016 को ईरान से अपहरण कर लिया था जहां वह अपने व्यापार के सिलसिले में गए थे। पाकिस्तान ने हालांकि दावा किया कि जाधव को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया गया और उनको जासूस बता दिया। पाकिस्तान ने भारत को इसकी सूचना जाधव को उठाने के 22 दिनों के बाद 25 मार्च 2016 को एक संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से दी थी। भारत ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक नियमों का पालन करते हुए उसी दिन जाधव से राजनयिक संपर्क की मांग की लेकिन उसकी अनुमति नहीं दी गई।

मुंबई के पोवाई क्षेत्र के रहने वाले जाधव के मामले की सुनवाई सिविल अदालत के बजाय सैन्य अदालत में की गई और एक अस्पष्ट सुनवाई के बाद 10 अप्रैल 2017 को उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई।

भारत की बहुत बड़ जीतः सुषमा स्वराज

पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की कद्दावर नेत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर इस मामले में भारत की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी है। सुषमा स्वराज ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “कुलभूषण जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का तहे दिल से स्वागत करती हूं। यह भारत के लिए बहुत बड़ी जीत है।“

gajendra tripathi

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