नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में शर्मनाक हार और परिवारवाद के आरोपों से आहत राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर अड़ गए हैं। हालांकि उन्हें मनाने के लिए मंगलवार को भी कई नेता पहुंचे पर फैसला बदलवा पाने के उनके सारे प्रयास नाकाम हो गए। सूत्रों के अनुसार राहुल ने पार्टी के बड़े नेताओं से साफ शब्दों में कह दिया है कि एक महीने में उनका कई विकल्प तलाश लें। साथ ही यह भी कहा है कि उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी के इन निर्णयों से दूर रखा जाए।

लगातार दूसरे लोकसभा चुनाव में हाहाकारी हार की वजह से कांग्रेस फिलहाल “सन्निपात” जैसी हालत में है। हालत यह है कि पार्टी के बड़े नेता हार के कारणों की समीक्षा करने के बजाय राहुल गांधी के “अडिग निर्णय” को लेकर “वेट एंड वाच” की स्थिति में हैं। कांग्रेस के एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर माना कि नेहरू-गांधी परिवार के बिना कांग्रेस पार्टी की कल्पना ही उनके लिए भयावह है। जाहिर है कि राहुल भले ही कुछ भी कहें पर जमीनी हकीकत से कट चुके उसके बड़े नेता पार्टी में वंशवाद को जारी रखने के हिमायती हैं। यही कारण है कि कोर टीम को उम्मीद है कि राहुल मान जाएंगे।

सूत्रों के हवाले से खबर है कि जहां तक शीर्ष स्तर परसंगठन में बदलाव की बात है, उसमें पार्टी किसी तरह का कोई बदलाव फिलहाल नहीं करना चाहती है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस अपनी सत्ता वाले उन बड़े राज्यों में कुछ संगठनात्मक बदलाव ला सकती है जहां लोकसभा चुनाव में उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा और कई जगह तो उसका सूपड़ा ही साफ हो गया। जाहिर है कि पार्टी के शीर्ष संगठन में शामिल घाघ नेता हार का ठीकरा दूसरी लाइन के नेताओं के सिर पर फोड़कर अपनी गर्दन बचाने का माहौल बनाने में अंदरखाने जुटे हुए हैं।  

दरअसल, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद जो माहौल बना और इसके बाद राहुल गांधी के इस्तीफा देने पर अड़ने तथा राजस्थान में पार्टी के सफाए को लेकर राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों की ओर से जवाबदेही तय करने की मांग की पृष्ठभूमि में कई बड़े नेताओं ने मंगलवार को राहुल गांधी से उनके आवास 12, तुगलक लेन पर मुलाकात की। इनमें पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल तथा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल हैं।

आपके याद होगा कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के अगले दिन सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें सामने आयी थीं कि बैठक में राहुल गांधी ने अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम सहित कुछ बड़े क्षेत्रीय नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा था कि इन नेताओं ने बेटों-रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के लिए जिद की और उन्हीं को चुनाव जिताने में लगे रहे और दूसरे स्थानों पर ध्यान नहीं दिया। इसी बैठक में राहुल ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि कार्यसमिति ने प्रस्ताव पारित कर इसे सर्वसम्मति से खारिज कर दिया और उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत कर दिया।

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