नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को छठे दिन भी अयोध्या जमीन विवाद पर सुनवाई की। रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अपना पक्ष रखते हुए ऐतिहासिक किताबों, गजेटियर, विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों, वेद एवं स्कंद पुराण की दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि राम अयोध्या के राजा थे और उनका जन्म वहां हुआ था, इस पर कोई भ्रम नहीं है। स्कंद पुराण का हवाला देते हुए कहा कि मान्यता है कि सरयू नदी में स्नान करने के बाद राम जन्मभूमि के दर्शन का लाभ श्रद्धालु को मिलता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यह पुराण कब लिखा गया था? इस पर वैद्यनाथन ने कहा कि पुराण वेद व्यास द्वारा महाभारत काल में लिखा गया था, कोई यह नहीं जानता कि यह कितना पुराना है।
वैद्यनाथन ने कहा कि अकबर और जहांगीर के समय में भारत आने वालों में फ्रांस के यात्री विलियम फिंच और विलियम हॉकिन्स ने अपने लेखों में अयोध्या का जिक्र किया है। उन्होंने वहां किसी मस्जिद की मौजूदगी की बात नहीं कही है। इसके अलावा विलियम फॉस्टर की किताब “अर्ली ट्रैवल्स इन इंडिया” में सात अंग्रेज यात्रियों का जिक्र तथा अयोध्या और राम मंदिर का वर्णन है। विदेशी यात्रियों और गजेटियर से बिल्कुल साफ है कि वहां राम का जन्मस्थान था और मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि राम जन्मभूमि पर स्थित किला बाबर ने तोड़ा था या औरंगजेब ने तोड़ा था, वैश्विक स्तर पर लिखे गए तथ्यों में यह भ्रम है पर राम अयोध्या के राजा थे और उनका जन्म वहां हुआ था इस पर कोई भ्रम किताबों में नहीं है।
मंगलवार को भी रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन की ओर से दलीलें रखी गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय साफ कर दिया था कि उसे इस मामले की सुनवाई में कोई जल्दी नहीं है। पक्षकार अपने हिसाब से समय लेकर अपना पक्ष रख सकते हैं। कोर्ट ने यह बात तब कही जब रामलला की ओर से हो रही बहस के दौरान बीच में उठकर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि ये साक्ष्य नहीं पेश कर रहे हैं। पूरा प्रकरण नहीं पेश करते बल्कि टुकड़ों में बता रहें हैं।
राजीव धवन की आपत्ति पर शीर्ष अदालत ने कहा कि क्या यह आपका बहस करने का तरीका है, जब आपका नंबर आए तब आप साक्ष्य दीजिएगा कोर्ट आपको सुनेगा। मुख्य न्यायाधीश ने धवन के तरीके पर एतराज जताते हुए कहा कि ऐसा कहने का क्या मतलब है। आप पहले दिन से ऐसा कर रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ के हस्तक्षेप के बाद मुख्य न्यायाधीश ने साफ किया कि उन्हें मामला सुनने की कोई जल्दी नहीं है पक्षकार अपना समय ले सकते हैं। सीजेआई ने यह भी हिदायत दी कि वे आगे से सुनवाई में कोई दखलंदाजी नहीं चाहते।
वैद्यनाथन ने कहा कि हाईकोर्ट के दो जजों ने माना है कि वहां पहले मंदिर था, जिसे तोड़ कर मस्जिद बनाई गई थी। तीसरे जज एसयू खान ने कहा है कि वहां मंदिर के अवशेष थे जिन पर मस्जिद बनाई गई थी। इसका मतलब भी यही निकलता है कि वहां पहले मंदिर था। जन्मस्थान पर हिंदुओं के दावे के बारे में एएसआइ की रिपोर्ट, ढांचा ढहने के पहले की वीडियो फोटोग्राफी, शिलालेख, ऐतिहासिक साहित्य है। उन्होंने 1858 की पुलिस शिकायत का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि जहां मस्जिद है और एक निहंग वहां मंदिर बनाना चाहता है।
इससे पहले पीठ ने निर्मोही अखाड़ा से दस्तावेज से जुड़े सबूतों पर अपना अधिकार साबित करने के लिए कहा था। पीठ ने पूछा था कि क्या आपके पास कुर्की से पहले राम जन्मभूमि के कब्जे का मौखिक या लिखित सबूत रिकॉर्ड में है। इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि साल 1982 में एक डकैती हुई थी, इसमें रिकॉर्ड खो गए थे। बीते दिनों रामलला विराजमान की ओर से भी राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक का दावा पेश किया गया था।
संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एसए नजीर भी शामिल हैं।
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