नई दिल्ली। कश्मीर मुद्दे पर तुर्की का पाकिस्तान का समर्थन करना यूं ही नहीं है बल्कि यह उस अंतरराष्ट्रीय साजिश का एक हिस्साभर है जो भारत के मुसलमानों के दिलो-दीमाग में नफरत भर कर उन्हें उनके ही वतन के खिलाफ भड़काने के लिए रची जा रही है। खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को भेजी एक रिपोर्ट में आगाह किया है कि तुर्की के जेहादी इस्लामिक संगठन भारत में नफरत फैलाने की साजिश रच रहे हैं। ये इस्लामिक संगठन भारत के मौलवियों और इस्लाम से जुड़े जानकारों को यह कहकर भड़का रहे हैं कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं और उन्हें हिंदुओं से खतरा है।
खुफिया एजेंसियों के इस इनपुट को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने तुर्की से जुड़े ऐसी सभी संगठनों पर कड़ी नजर रखने को कहा है जो भारत में नफरत फैलाने की साजिश रच रहे हैं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान को तमाम कोशिशों के बावजूद तुर्की और मलेशिया को छोड़ बाकी दुनिया में कोई समर्थन नहीं मिला। यहां तक की चीन जैसे पाकिस्तान समर्थक देश ने भी उसके समर्थन में खुलो तौर पर कुछ भी कहने से परहेज किया। दूसरी ओर तुर्की हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का विरोध कर रहा है। मलेशिया भी तुर्की की राह पर है। आपको याद होगा कि मलेशिया ने भारत के भगोड़े इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक को भी अपने यहां पनाह दे रखी है। तुर्की और मलेशिया की मौजूदा सरकारें इस्लामिक कट्टरपंथियों को संरक्षण देती रही हैं। सूत्रों के अनुसार, खासकर तुर्की के रुख को देखकर सरकार का माथा ठनका और भारतीय खुफिया एजेंसियों ने तुर्की के कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों पर नजर रखनी शुरू की तो यह सनसनीखेज खुलासा हुआ। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सीएए और एनआरसी के विरोध में हुए धरना-प्रदर्शनों और हिंसा में भी तुर्की के संगटनों का हाथ हो सकता है।
इस बीच एक न्यूज चैनल ने दावा किया है कि पिछले कुछ महीनों में भारत से कई मौलवी और इस्लाम के जानकरों को तुर्की बुलाया गया है और उन्हें शरिया से जुड़े कई कोर्सज भी कराए जा रहे हैं। इन कोर्सज के दौरान उनके दिलो-दीमाग में यह बात बैठाने की कोशिश की जाती है कि भारत उनके लिए सुरक्षित नहीं है। तुर्की दयानत वक्फी (Turkey Diyanet Vakfi) जैसी संस्थाएं भारत और नेपाल के मौलवियों और इस्लाम से जुड़े जानकारों को भड़काने के प्रयास में जुटी हैं। तुर्की दयानत वक्फी तुर्की सरकार की डायरेक्टरेट ऑफ रिलीजियस अफेयर्स का एक विंग है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों पाकिस्तान दौरे पर आए तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने भारत के ऐतराज के बावजूद कश्मीर का मुद्दा उठाया था और भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए कहा कि उनका देश इस मामले में पाकिस्तान की हिमायत करेगा । एर्दोआन ने पाकिस्तान की पार्लियामेंट में कहा था कि तुर्की इस हफ्ते पेरिस में एफएटीएफ (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट से बाहर होने की पाकिस्तान के कोशिशों का समर्थन करेगा।
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