नई दिल्ली। एक प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी, GST) का भुगतान नकद करने के नए नियम का ऐसा विरोध हुआ कि सरकार के कान खड़े हो गए। किसान आंदोलन से सबक लेते हुए वित्त मंत्रालय ने बिना समय गंवाए शनिवार को स्पष्टीकरण जारी किया। इसमें कहा गया है कि इस नियम से एक प्रतिशत से भी कम जीएसटी टैक्सपेयर्स प्रभावित होंगे।
गौरतलब है कि इस नियम के तहत ऐसे प्रत्येक व्यापारी, जिसका मासिक कारोबार 50 लाख रुपये से ज़्यादा है, को अनिवार्य रूप से अपनी एक प्रतिशत जीएसटी देनदारी को नकद जमा कराना होगा। वित्त मंत्रालय ने 22 दिसंबर, 2020 को एक अधिसूचना में जीएसटी नियमों में नियम 86 बी जोड़ने के बारे में जानकारी दी थी। सरकार के अनुसार, इसका उद्देश्य फर्जी बिलों के जरिए होने वाली टैक्स चोरी को रोकना है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नियम साफ है कि जहां रेवेन्यू को ज्यादा रिस्क है, वहां यह लागू होगा। इस नियम से केवल 45,000 टैक्सपेयर्स ही प्रभावित होंगे जो 1.2 करोड़ टैक्स बेस का मात्र 0.37 प्रतिशते है। इससे ईमानदार डीलर और कारोबारी प्रभावित नहीं होंगे।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस तर्क में कोई सच्चाई नहीं है कि इस नियम से छोटे कारोबारी प्रभावित होंगे और उनकी वर्किंग कैपिटल जरूरतें बढ़ जाएंगी। इस नियम के बारे में लोगों के मन में गलतफहमी है जिसका कोई आधार नहीं है। उनका कहना है कि एक
प्रतिशत नकद भुगतान की गणना एक महीने की टैक्स देनदारी पर होगी, न कि एह महीने के टर्नओवर पर। उदाहरण के लिए अगर किसी टैक्सपेयर का मासिक टर्नओवर 100 रुपये है तो उसे 12 प्रतिशथ टैक्स देना होगा। इसमें उसे केवल एक प्रतिशथ यानी 0.12 पैसे नकद देने होंगे।
नियम 86 बी को रोकने की मांग कर रहा है कैट
व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी में नियम 86 बी को रोकने की मांग की है। इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कैट ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर मांग की है कि इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह लेकर ही इसे लागू किया जाए।
कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने सीतारमण को भेजे पत्र में यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठकर जीएसटी कर प्रणाली की संपूर्ण समीक्षा करनी चाहिए तथा कर प्रणाली को और सरलीकृत करना चाहिए। कैट ने इस मुद्दे पर सीतारमण से मिलने का समय मांगा है।