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mulayam - akhilesh yadavलखनऊ। उत्तर प्रदेश के ‘समाजवादी कुनबे’ में जारी वर्चस्व की जंग रविवार को चरम पर पहुंच गयी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस जंग में अपने मुकाबिल खड़े चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ-साथ उनके करीबी तीन अन्य मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया। वहीं सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश के सबसे बड़े हिमायती बताये जाने वाले पार्टी के ‘थिंक टैंक’ रामगोपाल यादव को दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। रामगोपाल यादव का कहना है कि वह पार्टी में रहें या नहीं लेकिन इस ‘धर्मयुद्ध‘ में अखिलेश के साथ खड़े रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने विधानमण्डल दल की बैठक में वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल तथा उनके करीबी माने जाने वाले मंत्रियों ओमप्रकाश सिंह, नारद राय तथा स्वतंत्र प्रभार की राज्यमंत्री सैयदा शादाब फातिमा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। विधानमण्डल दल की बैठक में 229 में 183 विधायक शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने इस बैठक में शिवपाल और उनके समर्थक विधायकों तथा मंत्रियों को नहीं बुलाया था।

इन मंत्रियों की बर्खास्तगी के बाद तेजी से बदलते घटनाक्रम में सपा मुखिया ने पार्टी के ‘थिंक टैंक’ कहे जाने वाले और चाचा-भतीजे के द्वंद्व में अखिलेश के साथ मजबूती से खड़े दिखे अपने चचेरे भाई पार्टी महासचिव रामगोपाल को पार्टी से छह वर्ष के लिये निकाल दिया। रामगोपाल के निष्कासन की जानकारी देने के लिये आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने रामगोपाल पर भाजपा से मिलीभगत के गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री उनके षड्यंत्र को नहीं समझ रहे हैं।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रामगोपाल अपने सांसद पुत्र अक्षय यादव और बहू को यादव सिंह भ्रष्टाचार प्रकरण में बचाने के लिये यह सब कर रहे हैं। रामगोपाल ने अपनी बर्खास्तगी के बाद मुम्बई से जारी एक पत्र में कहा ‘नेताजी (मुलायम) इस वक्त जरूर कुछ आसुरी शक्तियों से घिरे हुए हैं। जब वह उन ताकतों से मुक्त होंगे तो उन्हें सचाई का एहसास होगा। मैं समाजवादी पार्टी में रहूं या ना रहूं लेकिन इस धर्मयुद्ध में अखिलेश यादव के साथ हूं।’

सपा में टूट की बढ़ती आशंकाओं के बीच मुलायम ने शाम को कोर समिति की आपात बैठक बुलायी जिसमें उनके करीबी नेता शामिल हुए। हालांकि बैठक खत्म होने के बाद बाहर निकलते वक्त उनमें से किसी ने भी मीडिया से बात नहीं की। अब सारी निगाहें सपा मुखिया द्वारा कल बुलायी गयी सपा विधायकों, मंत्रियों और विधान परिषद सदस्यों की बैठक पर हैं। माना जा रहा है कि इसमें कई और बड़े फैसले लिये जा सकते हैं।

हालांकि मुख्यमंत्री अखिलेश ने सपा में टूट की अटकलों पर फिलहाल विराम लगाते हुए विधानमण्डल दल की बैठक में कहा ‘मैं पार्टी में बना रहूंगा और पार्टी को मजबूत करता रहूंगा। कुछ लोगों ने हमारे घर में आग लगाकर षड़यंत्र किया है। मैं उनके और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करूंगा।’ अखिलेश ने कहा ‘पार्टी तथा नेताजी के खिलाफ जो साजिश करेगा, मैं उसके खिलाफ कार्रवाई करूंगा। मैं पार्टी के सभी कार्यक्रमों में भाग लूंगा। मैं पांच नवम्बर को सपा के रजत जयन्ती समारोह में रहूंगा और रथ यात्रा भी निकालूंगा।’ मुख्यमंत्री ने सपा के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह का नाम लेते हुए कहा कि जो भी मंत्री या नेता उनका साथ दे रहा है, उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
ताजा घटनाक्रम से चाचा-भतीजे के खेमों में बढ़ी दूरी के बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश सरकार के बहुमत पर सवाल खड़े करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की और कहा कि बहुमत साबित करने तक राज्यपाल को इस सरकार के किसी भी नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगा देनी चाहिये।

शिवपाल ने अपनी बर्खास्तगी के फौरन बाद अखिलेश को संदेश देने वाले बयान में कहा था कि उन्हें बर्खास्तगी की कोई फिक्र नहीं है। जनता उनके साथ है और वर्ष 2017 में नेताजी (मुलायम) के नेतृत्व में राज्य में सपा की सरकार बनेगी। इस बीच, अमर सिंह के विरोध के स्वर तेज हो गये हैं। सपा के दो वरिष्ठ नेताओं आजम खां और नरेश अग्रवाल ने कहा कि एक शख्स ने पार्टी का बड़ा नुकसान कर दिया है और अपनों पर कार्रवाई करने के बजाय उस व्यक्ति पर कार्रवाई की जानी चाहिये।

अमर सिंह की तरफ इशारा करते हुए अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने एक व्यक्ति पर आरोप लगाया है। वह कौन व्यक्ति है जो गड़बड़ी कर रहा है। सरकार पिछले साढ़े चार साल से अच्छी चल रही थी और कोई ऐसी तल्खी सामने नहीं आयी। उस व्यक्ति के दोबारा पार्टी में आने के बाद ही यह सब बातें क्यों शुरू हुईं। उन्होंने कहा कि वह चाहेंगे कि सपा मुखिया पूरी पार्टी की बैठक बुलाएं और उसमें इन बातों पर चर्चा की जाए।

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां ने कहा कि एक शख्स ने पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचा दिया है। यह तो होना ही था। उन्होंने अपने धुर विरोधी अमर सिंह की तरफ इशारा करते हुए कहा ‘हमने हमेशा महसूस किया कि ऐसा एक दिन जरूर आयेगा। यह बहुत दुखद है। पार्टी के समझदार और दूरदर्शी लोगों को इस बात का एहसास था कि ये दिन आएगा। एक शख्स से बहुत नुकसान हो गया।’ समाजवादी कुनबे में लगी चिनगारी पिछले काफी समय से सुलग रही थी लेकिन करीब एक महीने यह भड़क गयी थी जब अखिलेश तथा शिवपाल के बीच जंग तेज होती गयी।

इस दौरान पार्टी नेतृत्व के स्तर पर अखिलेश को अखरने वाले कई फैसले लिये गये। इनमें अखिलेश के करीबी चार विधानपरिषद सदस्यों तथा कई अन्य युवा नेताओं की बर्खास्तगी, भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किये गये मंत्री गायत्री प्रजापति की सपा मुखिया के हस्तक्षेप के बाद मंत्रिमण्डल में वापसी और विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चुनाव विधायक दल द्वारा किये जाने का मुलायम का बयान शामिल है।

सूत्रों के मुताबिक सपा प्रदेश नेतृत्व की एक के बाद एक कार्रवाइयों से यह संदेश गया कि वह अखिलेश के खिलाफ काम कर रहा है। ऐसे में इस बात की पूरी उम्मीद थी कि विधानमण्डल दल की रविवार की बैठक में अखिलेश आर-पार की लड़ाई का संदेश देते हुए कोई बड़ी कार्रवाई कर सकते हैं।

भाषा

 

 

 

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