इस्‍लामाबाद। रुपये-पैसे की तंगी होने पर इंसान क्या-क्या नहीं करता। अब इमरान खान को ही देख लीजिए। प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने देश को आर्थिक बदहाली से उबारने के लिए उन्होंने पहले प्रधानमंत्री कार्यालय और निवास की कारें बेचीं, फिर नंबर आया भैंसों का और गधे तो वह आज तक बेच रहे हैं। “आतंकवादी की फैक्ट्री” चलाने की वजह से खाली हो चुका सरकारी खजाना इस पर भी नहीं भरा तो हुजूरे आला ने तय किया है कि अब वे सरकारी जमीनें बेचेंगे।

दरअसल, प्रधानमंत्री इमरान खान देश की बदहाल अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने के लिए नित नए उपाय आजमा रहे हैं। हालांकि, यह अलग बात है कि उनकी कोई भी कोशिश अब तक रंग नहीं ला पाई है। इन्‍हीं कवायदों के तहत उनकी सरकार ने अब विदेशी और पाकिस्तानी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपनी बहुमूल्य लेकिन बेकार पड़ी राज्य संपत्तियों को बेचने का फैसला किया है। यही नहीं इस कवायद से नकदी संकट से भी निपटने की योजना है।

इमरान ने कहा है कि जन कल्याण परियोजनाओं के लिए धन संग्रह को लेकर बेशकीमती सरकारी संपत्तियों को बेचा जाएगा। दुर्भाग्य से पिछली सरकारों की लापरवाही के कारण इन बहुमून्‍य संपत्तियों का इस्‍तेमाल नहीं किया था। उन्‍होंने कहा कि अरबों रुपये की संपत्ति होने के बावजूद, केंद्र के विभिन्न सरकारी संस्थान हर साल अरबों रुपयों के घाटे में हैं। इस कवायद में बाधा नहीं पहुंचे इसके लिए इमरान ने चेतावनी दी की गैर इस्‍तेमाल वाली इन सरकीर संपत्तियों की पहचान के काम में रोड़ा बनने वाले अधिकारियों को बख्‍शा नहीं जाएगा।

पाकिस्‍तानी अखबार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन संपत्तियों को दुबई एक्सपो में बेचा जाएगा और इससे मिली रकम को शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन और आवास से संबंधित लोक कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया जाएगा। देश के निजीकरण सचिव रिजवान मलिक ने कहा कि इन अप्रयुक्‍त राज्‍य संपत्तियों का इस्‍तेमाल निवेशकों को आकर्षित करने के लिए किया जाएगा। गौरतलब है कि आर्थिक बदहाली से गुजर रहे पाकिस्‍तान को अंतरराष्ट्री मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने इसी साल जुलाई में छह अरब डॉलर का कर्ज दिया था ताकि अर्थव्‍यवस्‍था पटरी पर लाई जा सके। पाकिस्‍तान ने चीन, सऊदी अरब आदि देशों से भी अरबों डॉलर का कर्ज ले रखा है।

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