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बाजार पर भारी सोमवार, पी-नोट की चिंता में सेंसेक्स 551 अंक टूटा

मुंबई, 27 जुलाई। बंबई शेयर बाजार पर सोमवार भारी रहा। पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट) के लिए सख्त नियम बनने की चिंता एवं चीन के शेयर बाजारों में तेज गिरावट के बीच बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स आज 551 अंक टूटकर पांच सप्ताह से भी अधिक के निचले स्तर 27,561.38 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी आज 161 अंक टूट गया।

तीस शेयरों वाला सेंसेक्स कमजोर खुला और कारोबार के दौरान दिन के निचले स्तर 27,529.57 अंक पर आ गया। हालांकि, बाद में हल्का लिवाली समर्थन मिलने से यह 550.93 अंक नीचे रहकर 27,561.38 अंक पर बंद हुआ। इससे पहले, सेंसेक्स 19 जून को इस स्तर के आसपास था। पिछले तीन कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 943.55 अंक टूट चुका है। इसी तरह, नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी चौतरफा बिकवाली का शिकार हुआ और 160.55 अंक नीचे 8,361.00 अंक पर बंद हुआ।

शेयर ब्रोकरों ने कहा कि बाजार में इस बात की चिंता है कि सरकार, उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच टीम की सिफारिशें स्वीकार कर सकती है। इस टीम ने पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के लिए सख्त नियमों की सिफारिश की है। हालांकि, वित्त मंत्री अरण जेटली के इस बयान का बाजार पर कोई सकारात्मक असर नहीं पड़ा जिसमें वित्त मंत्री ने कहा कि पी-नोट्स मामले में सरकार जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाएगी।

ब्रोकरों ने कहा कि अन्य एशियाई बाजारों में बिकवाली दबाव का भी घरेलू बाजार की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा। चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता इस गिरावट की प्रमुख वजह रही। चीन का शंघाई शेयर बाजार आठ प्रतिशत से अधिक टूट गया। अन्य एशियाई बाजारों में चीन का शंघाई सूचकांक आठ प्रतिशत से अधिक टूट गया, जबकि हांगकांग 3.09 प्रतिशत और जापान का निक्केई सूचकांक 0.95 प्रतिशत टूटकर बंद हुआ। सेंसेक्स में शामिल 30 में से 29 कंपनियों के शेयर टूट गए और केवल बजाज आटो ही बढ़त लेकर बंद हुआ। वहीं टाटा स्टील 5.17 प्रतिशत टूट गया।

वित्त मंत्री अरण जेटली और राजस्व सचिव शक्तिकांत दास दोनों ने ही बाजार धारणा को शांत करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि सरकार पी-नोट मामले में जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठायेगी। इस बारे में सभी पक्षों से विचार विमर्श के बाद सोच समझकर ही फैसला लिया जायेगा। जेटली ने कहा कि सरकार पी-नोट मामले में ऐसा कोई कदम नहीं उठायेगी जिससे कि देश में निवेश के माहौल पर प्रतिकूल असर पड़े।

जियोजित बीएनपी पारिबा फाइनेंसियल सर्विसिज के फंडामेंटल रिसर्च के प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ऐसे समय जब वैश्विक बाजारों में एकीकरण जोर पकड़ रहा है, भारत के लिये दीर्घकाल में फायदा है। खासकर ऐसे समय जब घरेलू वित्तीय स्थिति सुधर रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों के दाम अनुकूल बने हुये हैं।

 

एजेन्सी
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