नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों की कोशिश दूसरे दिन भी परवान नहीं चढ़ पायी और शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी सड़क से नहीं हटने पर अड़े रहे। दोनों वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने करीब डेढ़ घंटे तक प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत की पर उन्हें मानने में विफल रहे। प्रदर्शनकारियों ने उनकी मौजूदगी में ऐलान किया कि वे रास्ता खाली नहीं करेंगे।
दोनों वार्ताकार गुरुवार को सायं करीब 4 बजे शाहीन बाग पहुंचे। वार्ताकारों ने कहा कि वे भी चाहते हैं कि शाहीन बाग बरकरार रहे, इसका मुद्दा बरकरार रहे। यहां से हटकर शाहीन बाग एरिया में किसी दूसरे जगह प्रदर्शन हो लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी जगह से न हटने पर अड़े रहे। अब वार्ताकार शुक्रवार को आएंगे और 10-15 महिलाओं के समूह से अलग से बात करेंगे।
साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की कि उन्हें उनके साथ पूरी सहानुभूति है। उन्होंने कहा, “आपका असली दर्द क्या है, आप क्या कहना चाह रहे हैं, हम यह सुनने-समझने आ रहे हैं। हम आपकी तकलीफ नहीं देख सकते।” रामचंद्रन ने आंदोलकारियों को समझाया कि अगर बात नहीं बनी तब मामला फिर सुप्रीम कोर्ट जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारा ईमान है कोशिश करना। पूरी कोशिश के बाद बात नहीं बनती तो केस फिर सुप्रीम कोर्ट में जाएगा, तब हमारे पास कोई चारा नहीं रहेगा और तब सरकार जो चाहेगी, वह करेगी।”
साधना रामचंद्रन ने कहा, “यह सड़क बंद है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हमें आपके पास भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक हाथ बढ़ाया है आपके तरफ…। शाहीन बाग बरकरार है और रहेगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट यह उम्मीद करता है… आपको सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है या नहीं।” उन्होंने आगे कहा, “अगर हम मिलकर शाहीन बाग के इसी एरिया में, इसी सड़क पर, किसी बड़े एरिया में अगर हम कोई हल निकालें…आपका आंदोलन भी शाहीन बाग में ही बरकरार रहे तो कैसा रहेगा?” इस पर प्रदर्शनकारी शोर करने लगे कि वे यहां से नहीं हटेंगे।
साधना रामचंद्रन ने कहा, “कोई ऐसी समस्या नहीं होती जिसका हल नहीं होता। अगर हम चाहते हैं कि हम देश को दिखा दें कि हम अच्छे नागरिक हैं, सच्चे नागरिक हैं। इसका हल निकले, शाहीन बाग बरकरार रखते हुए हल निकले तो इससे अच्छी बात नहीं होगी।”
बातचीत के दौरान एक प्रदर्शनकारी ने वार्ताकारों से कहा कि जिस देश में जज मार दीजिये वहां कैसे किसी कोर्ट पर भरोसा करें। इस पर साधना रामचंद्रन ने जवाब दिया कि जब बातचीत नहीं हो पा रही है तो यहां आने का कोई मतलब नहीं। दिल्ली पुलिस ने आप पर कोई अत्याचार नहीं किया, इसलिए उसका आदर कर रास्ता खाली कर दें।
इनसब के बाद साधना रामचंद्रन ने
कहा कि शाहीन बाग में बातचीत के लिए शांति का माहौल नहीं है, इसलिए कल कहीं दूसरी जगह बातचीत पर विचार किया जाएगा।
वार्ताकारों ने बातचीत के लिए प्रदर्शनकारियों की ओर से 20 लोगों की लिस्ट मांगी।
साधना रामचंद्र जब बोल रही थीं तो एक महिला प्रदर्शनकारी ने गुस्से में सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना की, जिस पर साधना रामचंद्रन भड़क उठीं। महिला ने कहा कि आप गलत याचिका पर बातचीत करने आई हैं। इस पर साधना रामचंद्रन ने गुस्से में कहा कि आपको भारत का नागरिक कहलाने का कोई हक नहीं है। इतना कहकर उन्होंने उस महिला को पंडाल से भगा दिया।
इन सब के बाद साधना रामचंद्रन ने कहा कि शाहीन बाग में बातचीत के लिए शांति का माहौल नहीं है, इसलिए कल (शुक्रवार को) कहीं दूसरी जगह बातचीत पर विचार किया जाएगा। वार्ताकारों ने बातचीत के लिए प्रदर्शनकारियों की ओर से 20 लोगों की सूची मांगी।
संजय हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों से गतिरोध तोड़ने की अपील की ताकि शाहीन बाग भविष्य के आंदोलनों के लिए मिसाल बन सके। उन्होंने कहा, “साधना जी ने आपको समझा दिया है। सुप्रीम कोर्ट चाहता क्या है? शाहीन बाग एक मिसाल होना चाहिए भविष्य के आंदोलनों के लिए। हम कल सुन रहे थे कि आप लोग 2 महीने से बैठे हैं। आप लोगों की क्या परेशानी है। हम सारे लोगों की सुनकर आए हैं। दूसरों को क्या परेशानी हो रही है, यह भी सुनकर आए हैं। अगर हम सच्चे दिल से और सच्ची श्रद्धा से इस मसले को हल करें तो लोग शाहीन बाग के मैसेज और मुद्दे को देश के लिए एक मिसाल मान लेंगे।”
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