नई दिल्ली। Shaheen Bagh protest : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ शाहीन बाग में 15 दिसंबर 2019 से चल रहे धरना-प्रदर्शन के दौरान 4 महीने के बच्चे की मौत के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि 4 महीने का बच्चा क्या खुद प्रदर्शन में जाता है? प्रदर्शन में बच्चे की मौत होने पर शीर्ष अदालत ने खुद ही संज्ञान लिया था। शीर्ष अदालत ने वीरता पुरस्कार जीतने वाली एक बच्ची के पत्र लिखने के बाद यह संज्ञान लिया था। गौरतलब है कि शाहीन बाग प्रदर्शन में 4 महीने के एक बच्चे की सर्दी से मौत हो गई थी।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीष (Chief Justice of India) एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने प्रदर्शन के अधिकार के सवाल में पूछा  कि कैसे चार महीने का बच्चा प्रदर्शन कर सकता है? साथ ही प्रदर्शनकारियों के इस तर्क पर उन्हें फटकार लगाई कि बच्चों को भी प्रदर्शन का अधिकार है। 

बच्चों के धरने-प्रदर्शन में शामिल होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि चार महीने के एक बच्चे की मौत हुई। इसके अलावा शाहीन बाग की तीन महिलाओं ने भी खुद का पक्ष रखने की मांग की। इन तीनों महिलाओं ने अपने वकील के जरिए कहा कि जब ग्रेटा थनबर्ग एक प्रदर्शनकारी बनीं तब वह भी एक बच्ची ही थीं। उनका कहना था कि उनके बच्चों को स्कूल में पाकिस्तानी कहा जाता है।

हम किसी की आवाज नहीं दबा रहे

सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा किसी बच्चे को स्कूल में पाकिस्तानी कहा गया, यह कोर्ट के समक्ष विषय नहीं है। सीजेआई ने कहा कि हम इस समय एनआरसी, एनपीए या किसी बच्चे को पाकिस्तानी कहने पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “अदालत मदरहुड का सम्मान करती है, लेकिन हमें बताएं कि क्या 4 महीने का कौन सा बच्चा खुद प्रोटेस्ट करना जाता है?”

सीजेआई ने कहा, “हम किसी की आवाज नहीं दबा रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट में बेवजह की बहस नहीं करेंगे।“ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार को इस मामले पर नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

यह है पूरा मामला

  • बहादुरी पुरस्कार पाने वाली छात्रा जेन गुणरत्न सदावर्ते ने 4 महीने के बच्चे को मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी थी। 
  • जेन ने चिट्ठी में कोर्ट से गुजारिश की थी कि ऐसे धरना-प्रदर्शनों में बच्चों को शामिल नहीं करने को लेकर उचित दिशा निर्देश दिया जाए। 
  • जेन का यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस बाबत गाइड लाइन भी बनाए। 
  • जेन ने पत्र में यह भी कहा है कि ऐसे धरना-प्रदर्शनों में बच्चों का शामिल करना उन पर अत्याचार है।
  • जेन ने सुप्रीम कोर्ट से बच्चे की मौत के मामले में जांच की मांग भी की है। 

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