नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) मनुष्यों के लिए कई तरह से घातक साबित हुआ है। यह दुनियाभर में अब तक तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान तो ले ही चुका है, इसके संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण घरों में बंद लोग तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन, असमान्य रक्तचाप आदि के शिकार भी हो रहे हैं। वैसे, कोरोना इन्सानी जिदगी के बाद अर्थव्यवस्था के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हुआ है।
अमेरिका, भारत, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड आदि को आर्थिक संकट से बचने के लिए ना चाहते हुए भी लॉकडाउन के बीच में ही कई तरह की आर्थिक गतिविधियों की छूट देनी पड़ रही है। मैनेजमेंट कंस्लटिंग फर्म अर्थर डी लिटिल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस की वजह से भारत में 13.5 करोड़ लोगों का रोजगार छिन सकता है तो 12 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे। उपभोक्ताओं की आमदनी, खर्च और बचत पर इसका बुरा असर होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस का सबसे बुरा असर भारत के कमजोर तबके पर पड़ेगा। रोजगार छिनेगा, गरीबी बढ़ेगी और प्रतिव्यक्ति आय कम होगी। इससे जीडीपी में तेज गिरावट आएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ”कोविड-19 के लगातार बढ़ते केसों को देखते हुए हमारा अनुमान है कि भारत के मामले में W शेप रिकवरी होगी। इसकी वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 10.8 पर्सेंट का संकुचन होगा और 2021-22 में जीडीपी ग्रोथ 0.8 पर्सेंट रहेगी।”
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत तक जा सकती है। इससे 13.5 करोड़ लोगों का रोजगार छिन जाएगा और देश में कुल 17.4 करोड़ लोग बेरोजगार होंगे। लोगों को गरीबी से निकालने के अभियान को झटका लगेगा और करीब 12 करोड़ लोग गरीब जबकि 4 करोड़ बेहद गरीब हो जाएंगे।
अर्थर डी लिटिल के इंडिया और साउथ एशिया मैनेजिंग पार्टनर और सीईओ बार्निक चितरन मित्रा ने कहा, ”वित्त वर्ष 21 में संभावित 10.8 पर्सेंट संकुचन के साथ भारत W शेप रिकवरी की ओर बढ़ रहा है। भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा।”