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Side effects of Corona: दुनिया भर में जून तक 30.5 करोड़ लोग हो सकते हैं बेरोजगार

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा कि महामारी और नौकरियों के संकट को देखते हुए दुनिया के सबसे कमजोर श्रमिकों की रक्षा करने ज्यादा जरूरी हो गया है। 

नई दिल्ली।  करीब-करीब पूरी दुनिया इस समय “अदृश्य दुश्मन” कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है। इस समय भले ही वायरस का पलड़ी भारी लग रहा हो पर अंततः जीत इंसान की ही होगी। इसमें कितना वक्त लगेगा, इसका सही-सही जवाब किसी के पास नहीं है पर इतना तय है कि इस जंग की हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी प़ड़ेगी। संयुक्त राष्ट्र की श्रम इकाई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) के अनुसार, अप्रैल से जून के दौरान महज तीन महीने में ही करीब 30.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं।

गौरतलब है कि आईएलओ ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों की जाने वाली नौकरियों का पूर्वानुमान एक बार फिर से बढ़ा दिया है। उसने पिछले पूर्वानुमान में कहा था कि इस महामारी के कारण जून तिमाही में हर सप्ताह औसतन 48 घंटे की कार्यअवधि वाले 19.5 करोड़ फुल टाइम नौकरियों का नुकसान हो सकता है। 

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने कहा कि कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए दुनिया भर में लॉकडाउन के बढ़ाये जाने की वजह से उसे अनुमान में बदलाव करना पड़ा है। इस महामारी के कारण अनौपचारिक क्षेत्र के 1.6 अरब कामगारों के समक्ष जीवनयापन का खतरा उत्पन्न हो चुका है क्योंकि महामारी के कारण उनके रोजी-रोटी के साधन बंद हो चुके हैं। यह पूरी दुनिया के 3.3 अरब कार्यबल का करीब आधा है।

रिटेल और मैन्युफैक्चरिंग रिस्क जैसे गंभीर संकट वाले क्षेत्रों में 43 करोड़ से अधिक इंटरप्राइजेज पर ज्यादा खतरा है। ILO के अनुसार, लॉकडाउन के कारण पहले महीने में श्रमिकों की आय में 60 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। अफ्रीका और अमेरिका में 80 प्रतिशत से अधिक गिरावट, यूरोप और मध्य एशिया में 70 प्रतिशत तथा एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 21.6 प्रतिशत गिरावट देखी गई है।

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा कि महामारी और नौकरियों के संकट को देखते हुए दुनिया के सबसे कमजोर श्रमिकों की रक्षा करने ज्यादा जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि लाखों श्रमिकों के लिए अगर आय नहीं है तो इसका मतलब उनके लिए न तो भोजन, न सुरक्षा और न ही उनका कोई भविष्य है। दुनिया भर में लाखों व्यवसाय मुश्किल में हैं। उनके पास कोई बचत नहीं है न ही कोई कर्ज बचा है। राइडर ने कहा, “ये काम करने के लिए दुनिया के असली चेहरे हैं। यदि मौजूदा समय में हम उनकी मदद नहीं करते हैं तो वये बर्बाद हो जाएंगे।”

gajendra tripathi

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