वॉशिंगटन।अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसी स्वचालित तकनीक तैयार की है, जो तस्वीरों को डिजिटल विश्लेषण और मशीनी जानकारी के साथ मिलाकर मेलानोमा की पहचान उसके शुरुआती स्तरों पर कर लेने में चिकित्सकों की मदद करती है।
मेलानोमा से पीड़ित लोगों की त्वचा पर अकसर तिल जैसी दिखने वाली चीजें पैदा हो जाती हैं जिनका रंग और आकार बदलता रहता है। इनमें और साधारण तिलों में अंतर करना मुश्किल हो सकता है। इस वजह से बीमारी की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
अमेरिका की रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्स क्रूजर ने कहा, ‘त्वचा विज्ञान के क्षेत्र में मेलानोमा की पहचान को लेकर मानकीकरण किए जाने की वास्तव में जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘स्क्रीनिंग के जरिए पहचान हो जाने पर जिंदगी बच जाती है लेकिन इसे देखना बहुत चुनौतीपूर्ण है। यदि संदिग्ध हिस्सा निकालकर उसकी बायोप्सी भी कराई जाती है, तो भी मेलानोमा होने की पुष्टि महज 10% मामलों में ही होती है।’
नई तकनीकी में इन हिस्सों की तस्वीरों को कंप्यूटर के कई प्रोग्राम से गुजारा जाता है, जो इसमें मौजूद विभिन्न रंगों की जानकारी और अन्य आंकड़े निकाल लेता है। इसका पूर्ण विश्लेषण समग्र जोखिम का स्कोर तैयार करता है, जिसे क्यू-स्कोर कहते हैं। इससे संकेत मिलता है कि यह तिल कैंसरकारी है या नहीं। यह अनुसंधान एक्सपेरीमेंटल डर्मेटोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
भाषा
बरेली@BareillyLive. शहर के जयनारायण सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में जिला प्रशिक्षण आयुक्त पुष्पकांत शर्मा…
हाई फ्लड लाइट और वॉच टावर की संख्या को बढ़ाने को कहा, मेला क्षेत्र में…
बरेली@BareillyLive. उत्तर प्रदेश भारत स्काउट एवं गाइड के निर्देशन एवं जिला संस्था बरेली के तत्वावधान…
बरेली @BareillyLive. चीन द्वारा कब्जा की गई भारत की भूमि को मुक्त करने की मांग…
बरेली @BareillyLive. रामगंगा नदी के चौबारी मेले में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के कारण बरेली में…
Bareillylive : संगठन पर्व के चलते शहर के मीरगंज विधानसभा के मंडल मीरगंज व मंडल…