संयुक्‍त राष्‍ट्र। मोटापा और कुपोषण दुनिया के लगभग हर देश यानी दुनियाभर की समस्या बन गया है। कोई कम भोजन या भोजन नहीं मिलने से परेशान है तो कोई जरूरत से ज्याद खाकर अपने स्वास्थ्य का सत्यानाश कर रहा है। तमाम लोग ऐसे भी हैं जो खा-पी तो भरपूर रहे हैं पर उनके भोजन में पोषक तत्वों का अभाव है तो वसा का अधिकता है जिससे वे तरह-तरह के रोगों के शिकार हो रहे हैं।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (World Health Organization) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेहत बनाने वाले खानपान पर ध्यान नहीं देने की वजह से लगभग हर देश में मोटे लोगों की संख्‍या बढ़ रही है। यही नहीं, वर्ष 1990 से 2018 के बीच बच्चों में मोटापे का स्तर लगातार बढ़ रहा है। आंकड़ों की मानें तो यदि कुपोषण की समस्‍या पर ध्‍यान नहीं दिया गया तो साल 2025 तक इससे 37 लाख मौतें होंगी। इसे देखते हुए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने अपने नए दिशा निर्देशों में कहा है कि यदि सरकारें पोषक तत्वों से भरपूर खानपान पर ध्‍यान दें तो इन मौतों को टाला जा सकता है।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट “एसेंशियल न्यूट्रीशन एक्शन्स: मेनस्ट्रीमिंग न्यूट्रीशन थ्रूआउट द लाइफ कोर्स” (Essential Nutrition Actions: mainstreaming nutrition throughout the life course) में कहा गया है कि मौजूदा वक्‍त में बच्‍चों में मोटापे की समस्‍या 4.8 से 5.9 प्रतिशत तक पहुंच गई है। रिपोर्ट में वैश्विक स्वास्थ्य की बुनियाद के तौर पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की भूमिका पर जोर दिया गया है। कहा गया है कि साल 1990 से 2018 के बीच 90 लाख से ज्‍याद बच्‍चों में मोटापे की समस्‍या सेहतमंद खाने पर ध्‍यान नहीं देने की वजह से हुई है। वयस्‍कों की बात करें तो साल 2016 में 1.3 अरब लोगों में ओवर वेट (निर्धारित वजन से अधिक) की समस्‍या पाई गई है।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन में सहायक महानिदेशक नाओको यामामोतो ने कहा कि पोषण को जरूरी स्वास्थ्य सावधानियों के तौर पर लिया जाना चाहिए। हमें खानपान के मुद्दे पर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे पोषक त्तवों से भरपूर आहार से अपना पोषण कर सकें। डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान में कहा है कि पोषण संबंधी पहलकदमियां करने से अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।

गौरतलब है कि उचित भोजन न मिलना स्वस्थ्या संबंधी तमाम समस्याओं की जड़ है तो मोटापा मधुमेह की एक प्रमुख वजह है जिससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और गुर्दे की बीमारियों का भी खतरा रहता है। यदि भारत की बात करें तो यहां कुपोषण और मोटापे के पीछे कई कारण मौजूद हैं। इनमें से सबसे बड़ी वजह लोगों द्वारा पौष्टिक खुराक नहीं लेना है। लोग अपनी भूख शांत करने के लिए कुछ भी खा लेते हैं। उन्‍हें पता ही नहीं है कि उनका भोजन शरीर की जरूरतों को पूरा करने में कितना सक्षम है। आज से दशकों पूर्व जब मोटे अनाजों का सेवन लोगों की विवशता थी तब उन्‍हें कुपोषण से नहीं जूझना पड़ता था। आज किसान इन अनाजों को उगाना बंद कर चुके हैं क्‍योंकि कम पैदावार और कम न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य के कारण ये फसलें मुफीद साबि‍त नहीं हो रही हैं। फास्ट फूड का बढ़ता चलन तमाम तरह की बीमारियों को न्योता दे रहा है। ज्यादा घी-तेल में बने खाने का सेवन तथा सब्जी-फलों को कम खाने की वजह से लोगों में 35-40 साल की उम्र में ही बुढ़ापे के लक्षण उभर रहे हैं।

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