नई दिल्ली। कई-कई आपराधिक मामले दर्ज होने के बाद भी बेधड़क घूम रहे राजनेताओं को यह खबर झटका दे सकती है। दरअसल, देशभर में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित 4000 से अधिक आपराधिक मामलों का निपटारा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अलग और विशेष कोर्ट गठित करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को कहा कि ये चौंकाना वाली बात है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ हजारों की संख्या में मामले कई सालों से लंबित है। कई मामले तो तीन दशक ज्यादा समय से लंबित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को संसद सदस्यों और विधायकों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों की विस्तृत जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को होने वाली अगली सुनवाई में नेताओं पर कोर्ट रूम में ट्रायल को लेकर निर्देश जारी होन की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हमारे पास आंकड़े आ गए हैं, अब यह देखने कि जरूरत है कि इस व्यवस्था के लिए कितनी विशेष अदालतों की जरूरत है।
एमाइकस क्यूरे ने कहा कि अदालतों का गठन समस्या नहीं है। असल समस्या ट्रायल तेजी से और निर्धारित समय में निपटे की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियोग चलाने वालों के लिए भी इस संबंध में निर्देश देने कि जरूरत है, ताकि उनकी वजह से मामला नहीं चले। इस पर एमाइकस क्यूरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए गवाह संरक्षण के फैसले को तत्काल सभी राज्यों में लागू किया जाए।
न्यायमूर्ति रमन्ना ने पूछा कि सबसे पुराना लंबित मामला कौन सा है, तो एमाइकस क्यूरे ने बताया कि सबसे पुराना मामला 1983 का पंजाब का है। यह सुनते ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के वकील पर नाराजगी से कहा कि इतने लंबे समय से मामला क्यों लंबित है? इतने साल बीत गए और आप लोगों को कुछ पता नही, आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि ये अभियोग चलाने वालों कि नाकामी है कि मामले इतने समय तक लंबित हो रहे हैं।