नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शराब की बिक्री पर स्पष्टता की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री के दौरान अदालत से सामाजिक दूरी (Social distance) को सुनिश्चित करने की मांग की गई थी। हालांकि शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों को शराब की होम डिलीवरी पर विचार करने को कहा है।

शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हम ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करेंगे लेकिन राज्यों को सामाजिक दूरियों के मानदंडों और मानकों को बनाए रखने के लिए शराब की अप्रत्यक्ष बिक्री/होम डिलीवरी पर विचार करना चाहिए।”

गौरततलब है कि केदंर सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे चरण (4 मई 2020 से 17 मई 2020) में राज्य सरकारों को 4 मई से शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दे दी थी। हालांकि उसने साफ कहा था कि शराब की दुकानों के बाहर सामाजिक दूरी (Social distance) का उचित पालन किया जाए। इसके बाद कई जगह शराब की दुकानों पर लंबी-लंबी कतारें देखी गई थीं और कई स्थानों पर सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ गईं।

दिल्ली में शराब की दुकानें खुलने के पहले ही दिन शराब की दुकानों पर ऐसी भीड़ उमड़ी कि लॉकडाउन के सारे मानक धरे के धरे रह गए। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब के मूल्य (एमआरपी) पर स्पेशल कोरोना शुल्क लगाने का ऐलान किया था जिससे शराब की कीमत 70 प्रतिशत बढ़ गई। हालांकि पियक्कड़ों पर इससे भी कई प्रभाव नहीं पड़ा और 5 मई को भी शराब की दुकानों के बाहर जमकर मनमानी हुई। दिल्ली सरकार के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने भी शराब पर कर बढ़ा दिया है।

छत्तीसगढ़ और पंजाब में शराब की होम डिलीवरी

शराब की दुकानों पर लगने वाली कतारों को देखते हुए पहले छततीसगढ़ और उसके बाद पंजाब ने शराब की होम डिलीवरी का विकल्प दिया है। छत्तीसगढ़ में ग्रीन और ऑरेंज जोन में रहने वाले लोग तकरीबन 120 रुपये ज्यादा देकर शराब की होम डिलीवरी ले सकते हैं। पंजाब में 7 अप्रैल से शराब की होम डिलीवरी शुरू हो गई है।

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