नई दिल्ली। यूपी में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह दो दिन में लोकायुक्त की नियुक्ति करे।
जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने सोमवार को यूपी सरकार से कहा कि वह बुधवार तक लोकायुक्त की नियुक्ति करे। हालांकि, सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सर्च कमेटी का गठन किया गया है और वह काम कर रही है। इस पर कोर्ट ने कहा, आपने पिछली सुनवाई पर भी यही कहा था। सबके अपने-अपने हित हैं। हमें आप बुधवार तक बताएं कि लोकायुक्त पर क्या किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष अप्रैल में दिए फैसले में प्रदेश के मुख्य सचिव को छह माह में नया लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश दिया था। प्रदेश में पुराने लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा सेवा विस्तार पर काम कर रहे हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर लोकायुक्त पर दिए गए आदेश का पालन नहीं करने पर मुख्य सचिव से जवाब तलब करने की मांग की गई है। याचिका महेंद्र कुमार जैन ने अधिवक्ता शिव कुमार त्रिपाठी के जरिये दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि मौजूदा लोकायुक्त पिछले आठ वर्ष से पद पर बने हुए हैं और उनकी जगह नया लोकायुक्त नहीं बनाकर राज्य सरकार कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके कारण प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। उन्होंने माना की मौजूदा लोकायुक्त का कार्यकाल गैरकानूनी है और इस दौरान किए गए उनके सभी फैसले और जांचों को निरस्त किया जाए।
कोर्ट ने गत वर्ष 23 अप्रैल को दिए फैसले में राज्य सरकार के लोकायुक्त को सेवा विस्तार देने के लिए कानून में किए गए संशोधन को सही ठहराया था, लेकिन साथ ही आदेश दिया था कि छह माह के अंदर नया लोकायुक्त नियुक्त करें। लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा को तत्कालीन मुलायम सरकार ने मार्च 2006 में छह वर्ष के लिए नियुक्त किया था। इसके बाद सरकार जब दोबारा 2012 में सत्ता में आई, तो सरकार ने अध्यादेश के जरिये लोकायुक्त का दो वर्ष का कार्यकाल बढ़ा दिया। इस अध्यादेश में लोकायुक्त की योग्यता को भी बदला गया। यानी पद से हटने के बाद पूर्व लोकायुक्त फिर से लोकायुक्त के लिए आवेदन कर सकते हैं, जबकि पुराने कानून में एक बार लोकायुक्त बनने के बाद वह व्यक्ति पुन: चयन के लिए अयोग्य हो जाता था।