नई दिल्ली। (Permission to open Jain temple in Mumbai for Paryushan festival) अब जबकि लॉकडाउन खत्म करने की प्रक्रिया का दूसरा चरण (अनलॉक 2) भी खत्म होने को है, देश की शीर्ष अदालत- सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि धार्मिक स्थलों को लेकर भी एहतियात के साथ निर्णय लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने जैन धर्मावलंबियों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न सिर्फ उन्हें पर्यूशन पर्व मनाने की इजाजत दे दी बल्कि महाराष्ट्र सरकार की रोक पर सवाल भी किया। दादर, भायखला और चेंबूर में स्थित जैन मंदिरों को पर्यूषण पर्व के आखिरी 2 दिन यानी 22 और 23 अगस्त 2020 को श्रद्धालुओं के लिए खोलने की इजाजत दी गई है। मंदिर प्रबंधन को केंद्र सरकार का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर (एसओपी) फॉलो करना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आर्थिक हितों से जुड़ी सारी गतिविधियों की महाराष्ट्र मे इजाजत है। जहां बात पैसे की आती है खतरा लेने को तैयार हैं लेकिन जब धार्मिक स्थल की बात आती है तो कहते हैं कि कोरोना वायरस है, ऐसा नहीं कर सकते।” ये टिप्पणी शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने पा‌र्श्वतिलक श्वेतांबर मूर्ति पूजक जैन ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के तीन जैन मंदिरों में एहतिहाती उपायों और नियमों के साथ पर्यूशन पर्व मनाने की इजाजत दे दी है। हालांकि यह भी साफ किया कि उसका यह आदेश सिर्फ इन्हीं तीन मंदिरों के बारे में हैं, इसे अन्य सभी मंदिरों के बारे में लागू न माना जाए।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया कि “गणपति महोत्सव’ के लिए अनुमति देने का निर्णय महाराष्ट्र आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मामला दर मामला के आधार पर करेगा।” कोर्ट ने कहा, “आने वाला गणपति उत्सव भिन्न है। उसमें भीड़ बेकाबू हो जाती है जबकि यहां स्थिति अलग है।”

याचिकाकर्ता ट्रस्ट की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे ने पर्यूशन पर्व पर पांच-पांच के समूह में एक दिन में कुल 250 लोगों के मंदिर जाने की इजाजत मांगी। उनका कहना था कि मंदिर जाने में सारे नियमों और सावधानियों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि राज्य में कोरोना वायरस की स्थिति खराब है। अगर एक को इजाजत दी गई तो सभी मांग करेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “भीड़ इकट्ठा करना गलत है। लेकिन, अगर एक समय मे सिर्फ पांच लोग जाएं तो क्या खराबी है? अगर ऐसा होता है तो जैन समुदाय के अलावा भी इजाजत दी जा सकती है।”

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