नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर दाखिल 144 याचिकाओं पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति ए. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सीएए से संबंधित 144 याचिकाओं पर सुनवाई की। सीएए की संवैधानिक वैधता को इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, असम गण परिषद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, जमायत उलेमा ए हिन्द, जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा, देव मुखर्जी, असददुद्दीन ओवेसी, तहसीन पूनावाला, केरल सरकार सहित अन्य ने चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र सरकार का पक्ष सुने बिना सीएए पर कोई स्थगन आदेश जारी नहीं करेगा। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा है कि हम अभी कोई भी आदेश जारी नहीं कर सकते हैं क्योंकि काफी याचिकाओं को सुनना बाकी है। अटॉर्नी जनरल ने अपील की है कि कोर्ट को आदेश जारी करना चाहिए कि अब कोई नई याचिका दायर नहीं होनी चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से सीएए के क्रियान्वयन पर रोक लगाने और एनपीआर की कवायद फिलहाल टाल देने का अनुरोध किया। उन्होंने इसमामले को संविधान पीठ के पास भेजने की मांग भी की। संविधान पीठ की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ अभी सबरीमाला, महिलाओं की बराबरी पर सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने मांग की है कि कौन कब बहस करेगा, ये अभी तय होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि हम सरकार से कुछ अस्थायी परमिट जारी करने के लिए कह सकते हैं। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने असम में अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में एक पूर्व-भाग आदेश की मांग की। उन्होंने कहा कि असम की स्थिति अलग है, पिछली सुनवाई के बाद से 40 हजार लोग असम में प्रवेश कर चुके हैं।
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 143 याचिकाओं में से करीब 60 की प्रतियां सरकार को दी गई हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए उसे समय चाहिए जो उसे अभी नहीं मिल पाई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में भीड़ का सवाल उठाते हुए कहा कि कोर्ट का मौहाल शांतिपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने अमेरिका और पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम के अंदर आगुंतकों के नियम का हवाला भी दिया।
गौरतलब है कि गत 18 दिसंबर
को सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम,
2019 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं
पर परीक्षण करने का निर्णय लेते हुए केदंर सरकार को नोटिस जारी किया था। हालांकि
सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन अधिनियम पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था।
बीती नौ जनवरी को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर देशभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर चिंता
जताते हुए कहा था कि वह इस मामले में तभी सुनवाई करेंगे जब हिंसा रुकेगी। साथ ही
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है।
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