नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम्रपाली ग्रुप मामले में खरीदारों के हित में बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने एनबीसीसी को आम्रपाली के अधूरे पड़े प्रोजेक्ट पूरा करने का आदेश दिया। साथ ही आम्रपाली के अधूरे पड़े प्रोजेक्ट पर केवल खरीदारों का हक बताया है। सुप्रीम कोर्ट के इस ताजा फैसले के करीब 45,000 खरीदारों को उनका सपनों का घर मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। अदालत ने आम्रपाली के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए रेरा के तहत कराया गया रजिस्ट्रेशन भी रद्द करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर खरीदार बाकी बचे हुए रुपयों को तीन महीने में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करा दें। शीर्ष अदालत ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को आदेश दिया कि वे खरीदारों पर किसी तरह की कार्रवाई न करें। इस मामले में बिल्डर्स अम्रपाली समूह ने खरीदारों से भारी मात्रा में पैसा लिया और उसके निदेशकों ने इस धनरशि को कहीं और डायवर्ट किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली ग्रुप ने मनी लॉन्ड्रिंग की है। फ्लैट का बोगस अलॉटमेंट किया गया और बड़ी धोखाधड़ी की गई। शीर्ष अदालत ने पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करने के भी आदेश दिए। कोर्ट ने आर. वेंकट रमानी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया है। साथ ही कहा है कि आम्रपाली ग्रुप को नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी द्वारा दी गई लीज रद्द की जाए। दोनों प्राधिकरणों को इस मामले में उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2015 से 2018 के बीच आम्रपाली का एकाउंट मैंटेन नहीं था और इसी दौरान पैसा इधर से उधर हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी आम्रपाली समूह को फटकार लगाते हुए कहा था कि आपने आसमान की ऊंचाई तक लोगों के साथ धोखा किया है।

error: Content is protected !!