बीजिंग/नई दिल्ली। अभी तक यह माना जा रहा था कि मधुमेह (diabete), उच्च रक्तचाप (high blood pressure) और दिल की बीमारियों (Heart diseases) से पीड़ित व्यक्तियों को यदि कोरोना वायरस संक्रमण हो जाए तो मौत का खतरा बहुत अधिक होता है लेकिन एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो लोग किसी भी तरह के हृदय रोग और उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण दोबारा हो सकता है।
यह अध्ययन चीन में होजहोंग विश्वविद्यालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने किया है। इस अध्ययन में वुहान हॉस्पिटल में भर्ती 938 मरीजों के डाटा को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मरीजों के फेफड़ों से कोरोना संक्रमण पूरी तरह ठीक नहीं होता। टेस्ट में रिपोर्ट निगेटिव आने पर इन्हें स्वस्थ्य मान लिया जाता है पर कुछ दिन बाद कोरोना वायरस फिर से इन मरीजों पर हमला करता है। आम मरीजों की तुलना में हृदय रोगियों और उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए यह स्थिति अधिक घातक हो सकती है।
कोरोना वायरस श्वसन तंत्र, नाक और गले को प्रभावित करता है। जो लोग पहले से मधुमेह, हृदय संबंधी किसी भी बीमारी या रक्तचाप से पीड़ित हैं, उन पर यह वायरस आसानी से हमला कर देता है। शरीर में पहले से मौजूद इन बीमारियों के कारण इन लोगों के लिए इस स्थिति से उबरना मुश्किल होता है। वहीं दूसरी बार हमला हो जाए तो शरीर हिम्मत हार जाता है।
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अपनी गाइडलाइन में स्पष्ट उल्लेख किया है कि लंबी बीमारी से पीड़ित मरीजों को अपना ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले तो आईसीएमआर ने साफ कहा है कि उक्त बीमारियां होने का मतलब यह नहीं है कि कोरोना वायरस संक्रमण होगा ही। इसके बाद बताया है कि ऐसे मरीजों को डॉक्टरों द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित रूप से सेवन करते रहना चाहिए। हो सकता है कि समय-समय पर डॉक्टर दवा में बदलाव करें, तो भी दवाओं को नियमित सेवन सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही कोरोना वायरस और लॉकडाउन संबंधी स्वस्थ्य मंत्रालय और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए।