इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अध्यापकों से अध्यापन कार्य ही लिये जाने का निर्देश देते हुए महानिदेशक बेसिक शिक्षा से कहा है कि राज्य के लिए अतिरिक्त कार्य लेना जरूरी हो तो वह अध्यापन कार्य को प्रभावित किए बगैर ही लिया जाए। हाईकोर्ट ने खेल, स्काउट आदि कार्य के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए शिक्षकों को उनके मूल पद पर अध्यापन कार्य के लिए वापस बुलाने के आदेश को सख्ती से लागू करने करने का निर्देश देते हुए कहा है कि अध्यापकों से गैर-शैक्षिक कार्य न लेने के लिए आदेश तत्काल निर्गत किए जाएं।

हाईकोर्ट ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा के प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए सभी अध्यापकों को उनके मूल पद पर भेजने के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जारी आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। साथ ही कहा कि अध्यापकों की जिस पद पर नियुक्ति की गई है, उनसे वही कार्य लिया जाए। साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक कर्तव्य (अध्यापन कार्य) के बाद ही जरूरी होने पर उनसे अतिरिक्त कार्य लिया जाए।

चंदौली की एक प्राथमिक पाठशाला के प्रधानाध्यापक विवेकानंद दुबे की याचिका पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ता ने महानिदेशक बिसिक शिक्षा के आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि वह खेल शिक्षक और प्रधानाध्यापक है। उसका कार्य अन्य अध्यापकों की तरह अध्यापन करना नहीं है। इसलिए उसकी खेल और स्काउट के लिए प्रतिनियुक्ति को मनमाने तौर पर वापस न लिया जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया।

यह है मामला

याची विवेकानंद दुबे को 13 जुलाई 2017 को प्रधानाध्यापक पद से व्यायाम शिक्षक पद पर प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। 19 जनवरी 2021 को महानिदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए को निर्देश दिया कि प्रतिनियुक्ति पर तैनात अध्यापकों को कार्यमुक्त कर उनके मूल शैक्षिक पदों पर भेजा जाए। विवेकानंद दुबे को व्यायाम शिक्षक कार्य के लिए 300 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त भत्ता दिया जा रहा था। याचिका पर सुनवाई के दौरान महानिदेशक ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश के 75 जिलों के 880 ब्लॉक में 3405 जूनियर हाईस्कूलों के सहायक अध्यापकों को एकेडमिक रिसर्च पर्सन व की रिसोर्स पर्सन पद पर तैनात किया गया है। ये मिशन प्रेरणा के अंतर्गत ई-स्कूल चला रहे हैं। ये बीआरसी दफ्तर को रिपोर्ट करते हैं, न कि मूल नियुक्ति वाले विद्यालय को। ये शिक्षक कोविड-19 के कारण विद्यालय नहीं जा रहे हैं। इन्हें 2500 रुपये अतिरिक्त भत्ता दिया जा रहा है।

याची विवेकानंद का यह भी कहना था कि उसे भी 2500 रुपये दिए जाएं। हाईकोर्ट ने कहा कि याची की मांग समझ से परे है। पूरा खेल अतिरिक्त भत्ते को लेकर है इसलिए सभी अध्यापकों को उनके मूल पद पर वापस भेजा जाए और उनसे अध्यापन कार्य लिया जाए।

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