उत्तर प्रदेश में निकाय-गांव में खोली जाएगी अस्थाई गौशाला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोक भवन में हुई बैठक में कुल पांच प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आवारा मवेशियों खासकर गायों को लेकर बढ़ते जनाक्रोश के बीच योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने मंगलवार को गौशाला पर बड़ा फैसला किया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में लोक भवन में हुई बैठक में कुल पांच प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई।

सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में हर निकाय के साथ ही गांव में भी अस्थाई गौशाला खोलने पर मुहर लगाई गई। प्रदेश में गांवों, क्षेत्रों, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों और नगर निगमों में आस्थाई गौशाला खोली जाएगी। सरकार ने आवारा गौ वंश की समस्या के समाधान के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार की प्रतिबद्धता साफ है कि गौकशी नहीं होने दी जाएगी लेकिन आवारा पशुओं का नियमन किया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी जमीन उपलब्ध होने पर गौ सरंक्षण सदन बनेंगे। इसके लिए मनरेगा के माध्यम से ग्राम पंचायत, विधायक, सांसद निधि से निर्माण कराया जाएगा। सरकार ने इसके लिए स्थानीय निकायों को 100 करोड़ रुपये दिए हैं। जिलों में ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र में न्यूनतम 1,000 निराश्रित पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनेगा। इसके वितीय प्रबंधन के लिए आबकारी विभाग दो प्रतिशत गौ कल्याण सेस लगाएगा। यूपीडा, निर्माण निगम, यूपीएसआईडीसी व सेतु नगम सहित अन्य लाभकारी संस्थान अपने लाभ का 0.5 फीसद गौ कल्याण के लिए देंगे। मंडी परिषद भी अपने लाभ का दो प्रतिशत इस मद में देगी।

बैठक में यूपी सतर्कता अधिष्ठान के दस सेक्टरों लखनऊ, बरेली, अयोध्या, गोरखपुर, झांसी, वाराणसी, प्रयागराज, कानुपर, आगरा और मेरठ को थाने में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया। अभी जिस मामले में विजिलेंस जांच करता है उससे संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराई जाती है। इससे गोपनीयता भंग होने का संकट रहता है। अब विजिलेंस अपने थाने में ही एफआईआर दर्ज कर सकेगा।

कर्तव्य पालन के दौरान अपंगता पर बनी सहायता नीति

पुलिस और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को कर्तव्य पालन के दौरान घटना होने से अपंग होने पर अब तक कोई सहायता नीति नही थी। कैबिनेट ने अब इसकी नीति पर मुहर लगा दी है। इसक अनुसार 70-79 प्रतिशत विकलांगता पर 15 लाख, 50-69 प्रतिशत पर 10 लाख जबकि 80-100 प्रतिशत पर 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। अब ऐसी किसी भी घटना पर एफआईआर भी दर्ज होगी। इसके बाद मेडिकल विभाग विकलांगता की रिपोर्ट देगा। इसके आधार पर सहयोग राशि दी जाएगी। अभी तक मृत्यु पर 40 लाख रुपये पत्नी-पति और 10 लाख रुपये माता-पिता की मिलते थे।

मोटर दुर्घटना प्रतिकर से जुड़े मामले में जिला स्तर पर विशेषीकृत मोटर दुर्घटना अधिकरण स्थापित होगी। इसके लिए 23.73 करोड़ दिए जाएंगे। यह कोर्ट एडीजे के स्तर पर बनेगी। 

यूपी इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिजाइन में निदेशक/सचिव की भर्ती के लिए डिजाइन विश्विद्यालय या इंस्टीट्यूट में 20 वर्ष के कार्य अनुभव को घटाकर 15 वर्ष कर दिया गया है। आवेदन परलिए उम्र 57 वर्ष से घटकर 45 से 55 वर्ष कर दी गई है। चयन कमेटी में निफ्ट के भी विशेषज्ञ होंगे।

gajendra tripathi

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