नई दिल्ली। विकास कार्यों और अपनी जनता का जीवनस्तर ऊपर उठाने के प्रयास करने के बजाय आतंकवाद को बढ़ावा देते-देते कंगाल हो चुके पाकिस्तान को शुक्रवार को आर्थिक तौर पर अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा। टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स (FATF) की क्षेत्रीय इकाई एशिया पेसिफिक ग्रुप (Asia Pacific Group, APG) ने टेरर फंडिंग पर लगाम लगा पाने में नाकाम रहने पर उसको काली सूची (Black list) में डाल दिया है। इस सख्त कार्रवाई के चलते पाकिस्तान के ऋण (loan) लेने के रास्ते बंद हो जाएंगे। इससे पहले पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट (Gray list) में शामिल था।
पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग के मामले में एफएटीएफ को गुमराह करता रहा है। ठोस कार्रवाई करने के बजाए वह दिखावे के लिए आतंकवादियों और आतंकी समूहों के खिलाफ फर्जी और कमजोर एफआइआर दर्ज कर रहा था। इसे लेकर अमेरिका ने पाकिस्तान को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की नसीहत दी थी। अमेरिका ने सख्त लहजे में था कि आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ठोस और संतोषजनक कदम उठाने के बाद ही दुनिया के ज्यादातर देश फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची यानी Gray list से बाहर निकलने में पाकिस्तान का समर्थन कर सकते हैं।
एफएटीएफ के इस कदम से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की हालत और खराब होगी। कुछ ही दिन पहले ही इस्लामाबाद में तैनात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की प्रतिनिधि टेरीजा सांचेज ने कहा था कि यदि पाकिस्तान एफएटीएफ की निगरानी सूची से बाहर नहीं निकला तो उसका हालिया स्वीकृत लोन भी खतरे में पड़ जाएगा।