नई दिल्ली/अयोध्या। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार द्वारा गठित राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास (Trust) की पहली बैठक बुधवार को होगी। बैठक में मंदिर निर्माण के मुहूर्त से लेकर कार्य पूर्ण होने तक की तमाम बातों पर विचार किया जाएगा। आम जनता से सहयोग राशि लेने जैसे मुद्दों पर भी निर्णय लिया जा सकता है ताकि भविष्य में किसी प्रकार का विवाद न हो। बैठक के दृष्टिगत राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास भी मंगलवार को नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। हालांकि अभी वह राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास का हिस्सा नही हैं।

 
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया था। उसने केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण और इसके बारे में रूपरेखा तैयार करने के लिए न्यास बनाने को कहा था। इसके पहले न्यासी (Trustee) सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के. पारासरन हैं। 

सूत्रों के मुताबिक, ट्रस्ट की बैठक में शिलान्यास के मुहूर्त से लेकर निर्माण पूर्ण होने के लिए समयसीमा निर्धारित की जा सकती है। पारदर्शी तरीके से चंदा लेने पर भी रणनीति सामने आ सकती है। इसका मुख्य मकसद ये है कि ‌भविष्य में किसी तरह के विवाद से बचा जा सके। ट्रस्ट इस बात पर भी विचार करेगा कि निर्माण कार्य के दौरान रामलला की प्रतिमा को कहां रखा जाए।

नवगठित न्यास की बैठक में अयोध्या से पांच लोग शामिल होंगे। न्यास की बैठक के दृष्टिगत राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास मंगलवार को नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। न्यास के सदस्य अयोध्या नरेश बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेन्द्र दास,आरएसएस के प्रांत कार्यवाह डॉ. अनिल मिश्र और जिलाधिकारी अनुज कुमार झा भी न्यास की बैठक में शामिल होंगे।

केंद्र सरकार ने न्यास का कार्यालय दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में स्थित हिंदू पक्ष के वकील के. पारासरन के निवास स्थान को बनाया है। न्यास में कुल 15 सदस्य हैं। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर 2019 के फैसले के 88 दिन बाद सरकार ने राम मंदिर बनाने के लिए न्यास की घोषणा की थी। इसी के साथ केंद्र सरकार ने अपने कब्जे की 67.703 एकड़ जमीन भी न्यास को सौंप दी है। यह पूरा इलाका मंदिर क्षेत्र होगा।

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